हम आर्य हैं | Ham Aarya Hain
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.15 MB
कुल पष्ठ :
24
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). ९१. || नाम की ही गूँज हुआ करती थी । उस समय इसाड़ मुसलसान व्पादि सभी सम्प्रदायों के लोग हमारे व्यास्यानों में आते थे व्फौर उनको प्रेम से सुनते थे हमारे घामिक ग्रन्थों का. स्वाध्याय करत थे । किन्तु जब से हम अपने को हिन्दू कहने लगे । हमारे व्याख्यानों तथा लेखों में--हम हिन्दू हमारा हिन्दू घ्म मारी हिन्दु सभ्यता आदि का ही बोल बाला होने लगा। हम यदि किसी विधर्मी की शुद्धि कर उसे वैदिक धम में भी प्रविप्र करने लगा तो समाचार पत्रों में हमने हिन्दुओं को ग्वुश तथा प्रभा- वित करने के लिये यह छपाना प्रारम्भ कर दिया कि. अमुक श्रर्यसमाज मन्दिर में अमुक व्यक्ति ने इसलाम मज़हम को छोड़ कर हिन्दूधम ग्रहण किया तब से ही हमारे इसाइ तथा मुसलमान भाइयों ने यह समक लिया कि छाय-समाज भी कोई सार्वभौम संस्था नहीं अपितु यह भी बुतपरस्त हिन्दुओं का ही एक फ़िरका है । इस लिये उन्होंने हमारे व्याख्यानों का सुनना तथा हमारी घम पुस्तकों का म्वाध्याय करना भा छाड़ दिया और हम केवल मात्र हिन्दुओं के लिये हों रद्द गय ्ौर वह भी स्वयं हिन्दू बन कर । वाचक-वृन्द श्ब आप स्वयं ही विचार करें कि हमने अपने को हिन्दु कहकर कितनी क्तात उठाई है। हमारा तथा हमारे धर्म प्रचार का कितना हास हुआ है । इसलिये अआय- पुरुषों में आपसे पुनः सविनय प्राथना करता हूँ कि यदि आप अपना सच्चा कल्याण चाहते हैं ? झपने प्यारे वेंदिक धघमं को सावेभोम बनाना चादते हैं तो श्राज से ही श्रपने को हिन्दू कहना छोड़ दो श्ौर अपने अन्दर से हिन्दूपन की जड़ को
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