हम सभ्य औरतें | Ham Sabhya Aurate

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Ham Sabhya Aurate by मनीषा - Manisha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दुनिया में पहले आई पर दोयम हो गई स्त्रियों से अधिक पाप की अन्य कोई वस्तु नहीं है, स्त्री सभी बुराइयों की जड़ है, स्त्री प्रज्वलित ज्वाला है, वह माया-रचित भ्रम है, वह उत्तरे की तेज धार है, वह अग्नि हे -- महाभारत स्तयो के मुख पुष्पो कौ भाति हे उनके शब्द मधु की बूदों की भांति है, कितु उनके मन तेन জনই জা भाति हं। उनके मन की थाह किसी को नही हो सकती। - रामायण पुरुष उत्तराधिकार में स्त्री से दूगुना पाएगा... यदि भय हो नेसहारा कन्याओ से उचित व्यवहार मेँ रहने का, जो भली लगे ब्याह लो, इनमें से दो, तीन या चार. . पुरुष को अधिकार है स्त्रियों पर, एक को बनाया दूसरे से श्रेष्ठ जिनसे अवज्ञा का এব हो उन्हें अलय पलंग पर भेजों और पीटे... - कुरान ये हैं हमारे महान्‌ भारत के धर्मग्रंथ, जो ' औरत ' को मात्र इस्तेमाल को चीज बताते हैं। यही कारण है कि हमारे समाज में तमाम विकास और पश्चिमी अंधानुकरण के बावजूद औरत की स्थिति बदतर बनी हुई है। आधुनिक समाज में औरत को हर दिन मौत से जूझने के लिए तैयार रहना पड़ता है। कोख में लिग- निर्धारण के बाद से जो जंग शुरू होती है, उसे समाप्त करना अभी भी आसान नहीं लगता। 'औरत' से ऊबे लोग, मादा भ्रूण नष्ट करने पर किस कदर तुले है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रतिवर्ष हमारे देश में तकरीबन 20 लाख मादा भ्रूण मारे जाते है। भारतीय दड़ संहिता कौ धारा 315 ओर 316 के अनुसार, भ्रूण हत्या करना कानूनन अपराध होने के बावजूद गांव-कस्बों तक में जगह-जगह गर्भपात केद्र' के बोर्ड लट्के मिल जाएंगे। जिनमें साफ लिखा होता है-- अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए मिलें फलां डॉक्टर से। यह दुनिया में पहले आई पर दोयम हो गई 13




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