गांधी साहित्य गीता माता 3 | Gandhi Sahitya Geeta Mata 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
142.11 MB
कुल पष्ठ :
572
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)+. मनवालें ढुनियाकी गड़बड़में पड़े रहते हें और देख
ही नहीं सकते । और ऐसी गड़बड़वालोंको जो स्पष्ट
लगता है वह समाधिस्थ योगीकों स्पष्टरूपसे मछिन
लगता है और वह उधर नजरतक नहीं डालता |
'..... ऐसे योगीकी तो ऐसी स्थिति होती है कि नदी-नालों -
दर का पानी जैसे समुद्रमें समा जाता है वैसे विषयमात्र
के * रत समुद्रूप योगीमें समा जाते हैं। और ऐसा
है ८ मनुष्य समुद्रको भांति हमेशा शांत रहता है । इससे
| जो मनुष्य सब कामनाएं तजकर, निरहंकार होकर,
ममता छोड़कर, तटस्थरूपसे बरतता है, वह शांति
पाता हे । यह ईद्वर-प्राप्तिकी स्थिति हैं और ऐसी
स्थिति जिसकी मृत्युतक टिकती है वह मोक्ष पाता है ।
झाफ दिखाई देता है वहां अस्थिर
_ तीसरा अध्याय
रा सोमप्रभात
पर २४-११-३०
देन स्थितप्रज्ञके लक्षण सुनकर अर्जुनको ऐसा लगा
* ..../... कि मनुष्यकों शांत होकर बैठ रहना चाहिए । उसके
ही लक्षणोंमें कर्मका तो नामतक भी उसने नहीं सुना ।
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