गाँधी साहित्य प्रार्थना प्रवचन भाग -२ 1949 | Gandhi Sahitya Prarthna Pravachan Vol-ii 1949

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Gandhi Sahitya Prarthna Pravachan  Vol-ii   1949 by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

Add Infomation AboutMohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्राथ॑ना-प्रवचन श्र हमारा काम है। वह हम करे । तो इन १५९०० झादमियोने पुरुषार्थ किया । लेकिन कब, जब वे श्रीवगरके बचानेमे सारे-के-सारे कट जाते है। पीछे श्रीनगरके साथ काश्मीर भी वच जायगा। इसके वाद क्या होगा ? यही होगा न, कि काइमीर काइ्मीरियोका होगा। शेख अ्रत्दुल्ला जो कहते हे वह तो में मपूर्णतया मानता हु कि काइमीर कास्मीरियोका है, महाराजाका नहीं। लेकिन महाराजाने इतना तो कर लिया है कि उन्होंने शेख भ्रव्दुल्ताको सब कुछ दे दिया और कह दिया है कि तुमको जो कुछ करना हूँ सो करो । काइमीरको बचाना है तो क्चाश्ो। शखिर महाराजा, तो काश्मीरको वचा नहीं सकते। श्रगर काइमीरको कोई बचा सकता हूँ, तो वहा जो मुसलमान है, कारमीरी पित है, राजपूत है श्रौर सिख हूं, वे ही बचा सकते है। उन सबके साथ शेख भ्रब्दुल्लाकी मोहब्बत है, दोस्ती है। हो सकता है कि शेख भब्दुल्ता काइमीरका बचाव करते-करते मर जाते है, उनकी जो बेगम है वह मर जाती हूँ, उनकी लडकी भी मर जाती है श्रौर श्राखिरमे काइमीरमे जितनी भौरते पड़ी है दे सब मर जाती हू; तो एक भी बूद पानी मेरी झाखोमेस श्रान वाला नही है। भ्रगर लडाई होना ही हमारे तसीवमे है तो लड़ाई होगी । दोनोको ही लड़ना हैं या किस-किसके बीच होगी, मह तो भगवान ही जानता हू, हमलावरोकी पीठपर अगर पाकिस्तानका बल नही है या पाकिस्तानका उसमे कोई उत्तेजन नही है, तो वे वहा कैसे टिक सकते हैं, यह मे नही जानता । लेकिन माना कि पराकिस्तानकी उत्तेजना नही है, तो नहीं होगी। जब काइमीरके लोग लडते-लडते सब मर जायगे तो काइमीरमे कौन रह जायगा” शेख प्रब्दुल्ला भी चले गए, क्योकि उनका सिंहपन, वाघपन तो इसीमे हू कि वे लड़ते-लडते मर जाते है भर मरते दमतक उन्होंने काइमीरको बचाया बहाके मुसल- मानोको तो बचाया ही, उसके साथ वहाके सिख और हिंदुभोको भी । वे ठेठ मुसलमान है। उनकी बीवी भी नमाज पढ़ती है। उन्होंने भषुर कठसे मुझे 'प्रोज अविल्ला' सुनाया था। में तो उनके घरपर भी गया हू। वे मानते हे कि जो हिंदू और सिख यहा है वे पहले मरे श्रौर मुस॒ल- मान पीछे, यह हो नहीं सकता। वहा हिंदू र सिखकी तादाद कम हूँ,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now