विशाल भारत | Vishal Bharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
397.99 MB
कुल पष्ठ :
806
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अर
रखना अमीष्ट हो, तो इसका कुल खर्च ब्रिटिश
सरकारकों ही अपने उपर लेघा....
जनवरी, १९२३४ ]
शक
तो भारतका सैनिक व्यय आधा कम हो सकता है ।
प्रश्न यह है कि इतनी बड़ी सेना भारतमें क्यों रखी
जाती है ? क्या. अंगरेज्ॉंके शासनकालमें. कभी भी
भारतपर वाद्य . शत्रुके आक्रमणकी आशंका हुई है !
आन्तरिक शान्तिके लिए तो मुल्की और फौजी पुलिस
ही काफ़ी है । इंग्लैग्डमें अंगरेज़ सैनिकॉको नियुक्त
करने तथा उन्हें शिक्षा देनेकी व्यवस्था भारतके लिए
किसी प्रकार भी लामजनक नहीं कहीं जा सकती । यह
व्यवस्था तो सिफ॑ इसलिए की गईं है, जिससे ब्रिटिश
साम्राज्यके स्वार्थोकी रक्षा हो । मिस्र, चीन और
दक्षिण-अफ़िकाके युद्धमें और गत महायुद्धमें जो भारतसे
सेना भेजी गईं थी, उसकां क्या उद्देश्य था ? भारतके
पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्तकी रक्षाके लिए जो सैनिक व्यय
किया जाता है, उसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्यकी
स्थिति और वाणिज्यकी रक्षा है ।. साम्राज्यकी
परराषट्र-नीति, प्रवीय देशोंमें साम्राज्यकी सत्ता तथा
वाणिज्यकी हित-दृष्टिसि ही भारतमें इतनी बड़ी फौज
रखी जाती है । इससे ब्रिटिश साम्राज्यका स्वार्थसाधन
होता है । सन १९१४ तक भारतमें जितना सैनिक
_ व्यय होता था, उसकी अपेक्षा इस समय दुगुना होता
है! क्यों? क्या भारतके हितके लिए! जिस
फोजकों रखनेमें गरीब देशवासियोंको प्रतिवर्ष ५४
करोड़ ख़चे करना पड़े और जिससे साम्राज्यका स्वार्थ-
साधन हो, वह सिफ॑ दो करोड़ रुपया खर्च करे, इससे
बढ़कर अन्याय और क्या हो सकता है ? पराधीन
भारत बहुत दिनोंसे इस असह्य कर-भाएको वहन करता
चला आ रहा है। इसके कारण ही शिक्षा; स्वास्थ्य,
कृषि-सुधार भादिकी कितनी ही योजनाएँ कार्यान्वित
नहीं हो सकी हैं । इसलिए यदि ब्रिटिश सरकारको
साम्राज्यकी .. रक्षाके ' लिए भारतमें गोरी फौज
स्यायोचित है को ्
सम्पादकीय विचार ७
व्यायाममें साम्प्रदायिकता
राजस्थान-प्रान्तीय हिन्दू-सभाकी सातर्वी वार्षिक
रिपोर्ट हमारे सामने है। उसका .एक अंश यहाँ
उद्धृत किया जाता है--
कुश्तियाँ, दंगल तथा हिन्दू टूर्नामन्ट
““हिन्दू-सभाकी स्थापनासे पूव . इस प्रान्तमें
कुश्टतियोंका शौक़ नहीं था ।. व्यायाम-कसरत करना,
कुश्ती लड़ना, लुचे-गुंडोंका काम बताया जाता था;
और कुश्ती लड़नेवालोंको लोग इज्जञतकी निगाहसे
नहीं देखते थे |. प्रान्तिक सभाने व्यायामका महत्त्व
जनताको बताया, आनेवाली सन्तानोंको «बलवान;
शक्तिवान बनानेका उपदेश दिलाया ।. सभाकी ओरसे
कई स्थानोंपर अखाड़े स्थापित किये गये, उस्तादोंकी
पंचायतें कायम की गईं, उनके द्वारा दंगल कराये गये ।
विजेताओंको इनाम दिये गये, जिससे जनतामें व्यायामके
प्रति प्रेम हो गया ।. और वह प्रसन्नताके साथ हिन्दू-
समाके अखाड़ोंमें योग देने लगी । फलस्वरूप अकेले
अजमेरमें इस समय पहलवानोंके चौबीस अखाड़े हिन्दू-
समाकी फहरिस्तमें दजे हैं, इसके अलावा घरू: अखाड़े
अलग हैं ।. इस तरह राजपूतानेमें हज़ारों अखाड़े चल
रहे हैं, जिनमें व्यायाम आदिका कार्य हो रहा है |
सदाकी भाँति इस वर्ष भी हिन्दू-सभाकी ओरसे टूर्नामेन्ट
कराया गया और लकड़ी आदिके अखाड़ोंको बुलवाकर
उनको पारितोषिक दिये गये । हिन्दू ट्र्नामिन्ट तथा
हिन्दू-दंगल सदाकी भाँति रोलवालोंकी हिन्दू-धर्मशाला में
होते रहे हैं ।??
इस वाक्यसे यह सुप्टतया प्रकट है कि राजस्थान-
प्रान्तीय हिन्दू-सभा व्यायाममें भी साम्प्रदायिक ढंगसे
काम लेना पसन्द करती है । उसके “हिन्दू टूर्नामेन्ट'
और हिन्दू दंगल” “हिन्दू धर्मशाला” में होते हैं |
किसीको इस विषयमें . आशंका न हो, इसलिए परिशि
नं० ४ में अजमेरके अखाड़ोंके २६ गुरुओकी नामांवली
भी प्रकाशित की गई है । इनमें श्रीयुत नारायणजीसे
लेकर श्रीयुत पुरुषोत्तमजी तक सभी हिन्दू हैं ।
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