शेक्सपियर भाषा | Shakespeare Bhasha (apani Apani Ruchi)
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39.41 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द् दोकसपियर भाषा |
ज्ञाय-क्या बात है जो मैं उससे इतना बुरा मानता
हु ! वह खुशील है-शिक्षा न होने पर भी विद्वान है ।
पूरा उदार भी है । सब उसको चाहते भी हैं। इसमें
भो सन्देद नहीं कि सब लोग उसको मानते हैं । मेरे
नौकर तो उसके बहुत ही चाहते हैं-'श्ौर मेरी बुराई
करते हैं । पर श्रब पऐसा न होगा। यह पहलघान
सखब निपटा देगा--घब मुझे जद्द ही ऐसा उपाय
करना चाहिये कि अपने भाई को भड़का दूं और
किसी बात की कमी नहीं है--(बाहर जाता है)
दूसरा स्थान ।
राजा के मददल के सामने का मैदान ।
( रसलीना और सुदीला आती हैं )
सुशीला--मेरी प्यारी बहिन ! तुम उदास न रहो । हसो बोलो ।
रखलीना--खुशीला प्यारी ! में केसे प्रसन्न रह--पिता के
बनवास का मुझे बड़ा दुःख है-छिन सर भो नहीं
भूलता ऐसे समय में तुमको उचित नहीं कि मुझसे
हसने बोलने को कहो।
खुशीला--प्यारी बहिन ! इससे तो यह सिद्ध होता है कि में
जितना तुम को चाहती हूं उतना तुम मुझे नहीं
[चाहती -तुम्ददारे पिता ने. मेरे पिता को देश से
निकाल दिया होता और मेरा तुम्हारा संग रहता तो
में तुम्दारे ही पिता का अपना पिता समझ कर घीति
करती--और जो तुम्द्दारा प्रेम सच्चा है तो तुमको
सी पेसा दी मानना चाहिये --
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