साधारण मनोविज्ञान | Sadaran Manovigyan
श्रेणी : मनोवैज्ञानिक / Psychological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
78.67 MB
कुल पष्ठ :
480
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साधारण मनोंक्ज्ञान [ अध्याय १
अपनी प्रखर बुद्धि द्रा मनोविज्ञान के. लगभग प्रत्येक चत्र को प्रभावित
किया । उसकी महत्ता का अनुसान इस तथ्य के आधार पर लगाया जा.
सकता है कि इस समय सी जबकि स नोविज्ञान बहुत आगे वढ़ चला है
......... छमेरिका के अनेक मनोविज्ञान-वेत्ता उसकी कृतियों को पढ़कर श्रोत्सा»
_ *5.. हित होते हैं ।
...-.. आधुनिक मनोविज्ञान ने वस्तुतः सबसे महत्वपूर्ण करवट सन् १६०४
£ . '.. ई० के आस-पास ली जबकि पावलोव नाम के एक शरीर-वैज्ञानिक
...... लेसापेक्षी-करण* का नियम स्थापित करके सानसिक क्रियाओं का
भौतिक आधार खोज निकालने का प्रयत्न किया । पावलोव ने अपना यह'
सापेक्षी-करण.का प्रयोग एक कुत्ते पर किया था ।
. पावलोब के सापेक्तीकरणु-सिद्धान्त तथा डा्विन *ै के विकास . बाद
से प्रभावित होकर वाट्सन” नाम के मनोविज्ञान-वेत्ता ने मनोविज्ञान
से मन अथवा चेतना को बिल्कुल निकाल फेंकने का प्रयल्न किया । अब .
तके मनोविज्ञक्त की परिभाषा किसी न किसी रूप में “चेतना का अध्य-
यन*' ही रही थी; ओर इसके अध्ययन की एक प्रमुख रीति अन्तर्निरी-
« ......... क्षण थी; किन्तु वाट्सन को इसमें अनेक आपत्तियाँ मालूम हुई । उसका
.... '*..... विचार था कि इससे हमें क्या मतलब कि चेतना के कितने अंग हैं और
।.... उसका क्या स्वरूप है! । हमें केवल प्राणी के व्यवहार से मतलब होना
चाहिए और मनोविज्ञान का प्रमुख विषय मानवीय व्यवहार का झध्य-
यन होना चाहिये अध्ययन के लिए केवल विंघेयात्मक* रीतियों
का प्रयोग किया जाना चाहिये । उसके अनुसार मनोविज्ञान “व्यवहार-
.... ... विज्ञान” ठहरा। बन 2
.......*... बाट्सन के समकालीन एक अन्य मनोविज्ञान-वेत्ता मेग्डूगल” का.
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