किरणों की खोज में | Kirano Ki Khoj Me

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kirano Ki Khoj Me by स. ही. वात्स्यायन - S. Hi. Vatsyayana

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about स. ही. वात्स्यायन - S. Hi. Vatsyayana

Add Infomation AboutS. Hi. Vatsyayana

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १३. ) अत्यन्त सुखद प्रतीत होता है । स्नान से पाप धुल जाते हें; पाप तो दीखते नहीं; अतः उनके दृद्य प्रतीक के रूप में जिन वस्त्रों से स्नान किया जाता हूं उन्हें कुंड पर ही छोड़ देने की प्रथा है । इस सरल उपाय से यात्री अपने पाप वहीं छोड़ कर चले आ सकते हैं ! यायावर जब गया तब तो कुंड पर सन्नाटा था, पर संक्रान्ति आदि के स्नानों पर जब भीड़ लगती हे; तब मुमुक्षुओं से अधिक उत्साह उन के पाप-मोचन के लिए वहाँ जुटे हुए मिष्मी स्त्री-पुरुष दिखाते हे । मुमुक्षु नहा कर निकले-न-निकले कि मुक्ति-पंथ के ये सहायक उस की धोती-गमछा-लैंगोट जो कुछ हो खींच लेते हू, और कभी-कभी मुमुक्षु को उस परम निष्पाप अवस्था में ही अपने भय सूखे कपड़ों तक जाना पड़ता ह। इसका विरोध सम्भव नहीं हैं, यही रीति चली' आयी है। और सभ्य मुमुक्षुओं के पाप का बोझा इस प्रतीक . के द्वारा ढोने का अधिकार सदा से असभ्य उपत्यका-वासी सिष्मियों का _.. रहा है। विकसित नागरिक सभ्यता के पापों का वोझ अविकसित वन्य जातियों द्वारा ढोया जाता है। इस सत्य का यह रीति स्वयं कितना अ्थ- पूर्ण प्रतीक है, इसकी ओर कदाचित्‌ दोनों ही पक्षों का ध्यान कभी नहीं जाता होगा ! . न | अ : लि पर ना श्् 1 यह; “८ पद ट्रक तक पहुँचते-न-पहुँचते दिन छिप गया। गाड़ी का डायनेमों चाजं नहीं करता, अतः बत्ती तो जलायी न' जायगी, अँधरे में ही' गाड़ी चलाना होगा। जितनी जल्दी हो सके, जंगल का पहला बहुत घना और कीचड़ वाला खंड पार कर लिया जाय, उसके बाद पक्की सड़क पर रुक कर कहीं चाय बनायी जायगी और फिर चाँद उठ आन पर आग बढ़ा जायगा जंगल पार हो लिया गया। बीच में कहीं-कहीं मोड़ों पर रास्ते से थोड़ा भटक कर फिर उलटा लौट कर. पथ खोज़ना . पड़ा, किन्तु विशेष असुविधा न' हुई ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now