भारत - निर्माता | Bharat Nirmata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हि बिना किसी पदार्थ की सहायता के ही एक हवा को गर्म नहीं करता । सूय श्रौर हमारी ऐ्रथ्वी वे बीच करोड़ों, मील तक एकदम शल्य है--पू्ण बेकु- तरस । फिर भी सूर्य से हमें अपरिमित मात्रा में ताप प्राप्त होता है। ताप के संचार की इस विधि को “विकि रण” कहते हैं । विकिरण में . भौतिक. पदाथ॑ के. कण सहायता पहुँचाने के बदले उलदे बाघा पहुँचाते हैं । हा गीटी के सामने दफ़्ती का.. ढकंड़ा रख लीजिए, की पर विस्तृत रूप से विचार करेंगे । संचालन में ठोंस वे कण श्रपने पासवाले कणों कों ताप केसे दे. पते हैं लक क:.हतन ८ १, श्र से पदार्थों के झखुओं की गति..या कंपन, का . ढीले रहते हैं इसलिए वे ऊपर जगह सिली पसरनते शऔर दौड़ने लगते हैं..। . इंसोलिए प्रतीली




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