भारत - निर्माता | Bharat Nirmata
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
148.94 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हि
बिना किसी पदार्थ की सहायता के ही एक
हवा को गर्म नहीं करता । सूय श्रौर हमारी ऐ्रथ्वी वे
बीच करोड़ों, मील तक एकदम शल्य है--पू्ण बेकु-
तरस । फिर भी सूर्य से हमें अपरिमित मात्रा में ताप
प्राप्त होता है। ताप के संचार की इस विधि को “विकि
रण” कहते हैं । विकिरण में . भौतिक. पदाथ॑ के. कण
सहायता पहुँचाने के बदले उलदे बाघा पहुँचाते हैं ।
हा
गीटी के सामने दफ़्ती का.. ढकंड़ा रख लीजिए,
की
पर विस्तृत रूप से विचार करेंगे । संचालन में ठोंस वे
कण श्रपने पासवाले कणों कों ताप केसे दे. पते हैं
लक क:.हतन ८ १,
श्र
से पदार्थों के झखुओं की गति..या कंपन, का
. ढीले रहते हैं इसलिए वे ऊपर जगह सिली
पसरनते शऔर दौड़ने लगते हैं..। . इंसोलिए प्रतीली
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