भारत के महान क्रांतिकारी | Bharat Ke Mahan Krantikari

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धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma

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लल्लन प्रसाद ब्यास - Lallan Prasad Byas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[१० ] ओर उसके वाद भी काफी समय तक उन पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध लगाए रुए | क्रानिकारियों का प्रेरक हम आज चद्रशखर “'आजाद', भ्रगतसिह आदि क्राति- कारियों के चित्रा ओर मूर्तियों को पूजते है, कितु इस जीवित ऋ्रातिकारी बनी यह उपेक्षा हो रही है, जिससे कभी उपयृक्त क्रातिकारीगण जपने कार्यो में प्रेरणा एवं मांग - दर्शन प्राप्त करते य तथा उनकी क्राति-सवथी पुस्तकों को गीता या वाइ- बिन नी तरह पूजते थे । यह सभव है कि सावर्करजी की मान्यताओं और बिच से देश के अनेक जीषस्थ नेतागण और देशवासी सह- मत न हो दोकिन यह नसहमति और बविचार-भिन्नता को उनके प्रति वतमान उदासीनता ओर उपेक्षा तथा विगत अचधि- स्मरणीय देश - सेवाओं के विस्मरण का कारण बनाना उचित नहीं । यह हमारे सामाजिर अथवा राष्ट्रीय जीवन की एक अवाछित एव अहितकर प्रवत्ति का द्योतक है । प्रबर हिंदू राष्ट्रवाद के समथंक सावरकरजी प्रखर हिंदू राष्ट्रवाद के समथक , जो वह अपने क्रातिकारी जीवन मे भी थे, बाद मे भी रहे और आज भी है। वह हिदुत्व को साप्रदायिक नहीं मानते । उनका कहना है--“हमे सप्रदाय कहना मूखंता है । हम हिंदू स्वत एक




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