वीर - जीवन | Veer Jeevan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
141
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[११
सेवा करते रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि आप हमेशा इसी
प्रकारसे तन, मन, घनसे समाज, गुरु, व घमकी सेवा ज्यादा उत्साहसे
करते रहकर अपना नाम अमर छोड़ जानेमें लगे रहेंगे। आपका स्वभाव
बच्चों जेसा साफ है । आपसी झगड़ बढ़ने नहीं देते । इस झाबुआ
नामक दाहरमें तो मंदिरजी पर व आये गये साघु संतॉपर आपकी
पूरी २ निगाह है। आप जबसे छ्िखरजीकी ग्रात्राको से० १९७२
से गयहं तबसे अभीतक दो रुपया सालयाना हां भेजनका प्रण पूरा
कर रहे हूं। स्थाई फंड इत्यादिक्म भी आपने खासी मदद की है ।
यही नहीं, आपने यहांकी प्रजाके लिए. पुस्तकालय सरकारसे
लड़॒झगइकर वापस ल्या । आप रोजाना सुबह शाम शास्त्र
स्वाध्याय बराबर करते हैं । आपके जैसे धार्मिक विचार हें वेसी ही
आपको धघर्मपत्नि भी मिलीं । नहीं ता आप जानते हैं कि गाड़ी
बिना दोनों पहियकि चल नहीं सकती. उसी प्रकार यह ग्रहम्थाश्रम
भी नहीं चल सकता है । शाणीब्राई बड़ी ही शांतिप्रिय, घमपरायण,
साघुसर्व), और तीथसेबी थीं. जा कुछ समय हुआ अपने पतिदेवको
अकेला छाड़कर इस अवम्थामं कालके गालमें चली गंडे। जो अभीतक,
वे ही प्रेससे मिलकर ग्रहस्थाश्रम व धार्मिक काये कात रहे थे वह
अब अकेलपर छोड़ गई । इस असार संसारमें वद्दी थिक्षा लेनेकी है
कि जब धर्मात्मा पुरुषकी यह हालत है तो दृसरोंकी क्या गिनती
है, ऐसा सोचकर हर हमेशा धम सेवन करना चाहिए; । नहीं तो
“ जो सोया, सो खोया ” बाला दसाब तैयार है ।
शाणीबाईका जीवन सादगीका एक उदाहरण था । आप सुबह
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