बम्भ्तालान्कारह | Bambhtalankarah

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bambhtalankarah by खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas

Add Infomation AboutKhemraj Shri Krishnadas

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१२ वाग्मटालेकार-परि० १. पढमे कृष्णका पुत्र कृष्णपुत्र यह तत्पुरुष समास है और इसीमें कृष्ण है पुत्र जिसका सो कृष्णपुत्र यह बड़- ब्रीहि है अर्थात्‌ कंही अवसर हो तो विशेषणोंस वहांदी संदेह करदेना चाहिये ॥ १५९ ॥ एकस्यवा।भघेयस्य समास व्यासमव च। अभ्यसंत्कतमाघान ।नः्शपाठाक यास्वांपे ॥ १६ ॥ स्यादनदातपादात5प्य शैथिल्पे ठघुगुरुः । पादादो न च वक्तव्या श्रादय प्रायशा बुध ॥ १७ है टीका-निःशेषालंक्रियास॒ अपि एकस्य अभिषे यस्य एव समासं व्यास च आधानं कतु अभ्यसेतत्‌ इत्यन्वयः ॥ अभिषेयस्य प्रतिपाद्यस्य समासं संतरे पतःव्यासं विस्तारतः कथनम्‌ आधानम्‌ आरोप नि शेषार्लक्रियासु॒सर्वेत्रालंकाषु ॥ १६ ॥ अनद्धात पादाति अपि अशेथिल्पे सति लघः ग़ुरुः स्यात्‌ । बुषेः प्रायशः पादादो चादयः न वक्तव्याः इत्य- न्वयः # अनद्धतपादांते प्रथमतृतीयपादांते अशैथि- ट्ये गुरूचारणावश्यकत्वे ॥ १७ ॥ अयथे-समस्त उस्टंकारोम एक वर्णनीयका संश्षेपसे वर्णन कर ने अथवा विस्तारसे बणन करनेके आरोपण करनेका अभ्यास करें अ्रयोजन यददू कि जिस प्रकार आरंभ करें वैसे दी समाप्त




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now