मुद्रा राक्षस नाटक | Mudrarakshas Natak
श्रेणी : ऐतिहासिक कथा / Historical fiction, नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.37 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१३ )
(प्वाणुक्य--( इपेपूडक स्वगत ) हमारे रिपुद्ल का पदुपाती
क्तषपणक 1 ( प्रकट ) क्या नाम दे उसका ?
गुप्तचर--उसका नाम है ।
प्दाणक्य--च्पणक इमारे रिपु-टल का पक्षपाती दै, यदद श्रापने
केसे जाना १
गुप्तचर--क्योंकि उसने झमात्य राचस द्वारा नियुक्ता विष-कन्या
का देव पवेतेश्वर पर प्रयोग किया ।
स्वगत ) यदद तो हमारा गुस्चर नीवसिद्धि दे ।
( प्रकट ) मदर पुरुष | श्रच्छा; दूसरा कौन है ? /
शुप्तचर--श्रार्य । दूसरा श्रमात्य सच्चुस का प्रिय मित्र शफटदास
नाम का कायस्थ दै।
प्याणुक्य--( हँंसकर स्गत ) “कायस्थ' यह तुच् वस्तु है ! फिर
भी हुच्छ भी शनु की श्रवदेलना .नद्दीं करनी चाहिये । उसके लिये मैंने
सिद्धाथक फो उसका मित्र बनाकर रख छोड़ा है | ( प्रकट ) भद्र पुरुष |
तीसरे को भी सुनना चादता हूँ ।
रुप्तचर--तीसरा भी; अमात्य राचुस का मान दूसरा ददय,
कुसुमपुर-निवासी वर जौदइगी सेठ चंदनदात है, जिसके घर में श्पने
कुद्द भर को घरोदर के रूप में छोड़कर शमात्य राचस नगर से चला
गया है ।
'चाणुक्य--( खगत ) अवश्य बढ़ा भारी मित्र है ! क्योंकि
राचुस ऐसे पुरुषों के पाख कमी भी निज परियार को घरोदर के रूप में
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