ऋग्वेदिक आर्य | Rigvedik Arya

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Rigvedik Arya by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७ २६. पूषु० ई० पू०-- १ लौह-युग है। ३ ४ सारा देश एक राज्य नहीं है। राजगृह और वैशाली प्रचान राजघानिया_है। राजागृह में विन्दुसार का शासन है और वैशाली मे गणराज्य। ५ कोसली-पालि भाषा की प्रधानता है। ६ सामनती व्यवस्था और दास-प्रथा चल रही है। ४ तीर-धनुष परमास्त्र हैं। ८ ब्राह्मण धर्म की प्रधानता है। आजीवक निर्धरंथ बौद्ध धर्मों के प्रचार का आरम्भ है। ६ सभी मासाहारी है। छूआछूत का विचार नहीं सा है। ब्याह में देश-जाति का नहीं वर्ग का ख्याल ज्यादा है। १० भारतीय यो महान विचारक बुद्ध और तीर्थंकर महावीर काम कर रहे हैं। १५ पोशाक स्त्री-पुरुष दोनो की उत्तरीय अन्तर्वासक और उण्णीय है। यह है सन्‌ ५५० ई० पू०। २७. ६५० ई० पू०-- ॥ लौह-युग है। ३ ४ अलग-अलग राज्य और राजधानिया हैं जिनमे कोसल की राजधानी श्रावस्ती प्रधानता रखती है। ५ कोसली-पालि अधिक व्यापक भाषा है। ६ सामन्ती व्यवस्था और दासता प्रचलित है। गणराज्य और राजतन्त्र दोनो प्रकार के शासन है। ७ तीर-घनुष परमास्त्र हैं। ८ ब्राह्मण धर्म की प्रधानता है। ६ छूआछूत-का विचार नहीं सा है। ब्याह मे वर्ग का विचार किया जाता है। लोग मास-भोजी हैं। १५ पोशाक स्त्री-पुरुष दोनो की उत्तरीय-अन्तर्वासक और उण्णीष है। यह है सन्‌ ६५० ई० पू० । २८. ७५० ई० पू०-- ॥ लौह-युग के आरम्मिक दिन है। ३ ४ कुरु-पाचल देश की सास्कृतिक और राजनीतिक प्रधानता का समय है। ५ छन्द वैदिक भाषा की ऊपरी आर्य वर्ग मे अधिक प्रचार है लेकिन द्रविड़ भाषा. भी काफी बोली जाती है। ६ सामन्ती व्यवस्था और दासप्रथा का चलन है। गणो और राजाओ दोनो का शासन चल रे हैं। ७ तीर-धनुष परमास्त्र हैं। ८ ब्राह्मण घर्म और वैदिक कर्मकाण्ड आरयों मे चलते हैं। दूसरे दविड किरात देवताओ को मानते हैं। ६ सभी मासाहारी है। वर्ण का विचार बहुत कडा हे। आर्य अपने से भिन्न जाति के लोगो के साथ ब्याह करने के विरुद्ध हैं। १० उपनिषद्‌ के महान ऋषि याज्ञवल्क्य॒ का यह समय है। १५ पोशाक अन्तर्वासक उत्तरीय और उण्णीष स्त्री-पुरुष दोनो की है। आर्य ऊनी वस्त्रो क्रो ज्यादा पसन्द करते हैं| यह है सन्‌ ७५० ई० पू०। २६. ८५० ई० पू०-- १ लौह-युग का अभी-अभी आरम्भ हुआ है। ३ ४ कुरु जनपद की प्रघाननता हैं। ५ छन्द वैदिक भाषा आरयों की और प्राचीन द्रविड़ और किरात भाषा. दूसरो की है। ६ गण और राज दोनो तत्र चल रहे हैं। दास-प्रधान सामन्ती समाज है। ७ परमास्त्र तीर-धनुष हैं। तीर के फल अब तावे की जगह लोहे के बनने लगे हैं। ८ वैदिक धर्म आर्यों मे ओर दूसरों मे अपने-अपने धर्म प्रचलित हैं। ६ वर्ण-भेद_उसी तरह घोर है जिस तरह दक्षिणी अफ्रीका और दक्षीणी युक्‍तराष्ट्र अमेरिका मे आज देखा जाता है। १५ पोशाक ऊपर द्रापि एक तरह का चोगा और नीचे अन्तर्वासक है। आर्य ऊनी वस्त्र ज्यादा पहनते हैं। स्त्री-पुरुषो की पोशाक मे कोई अन्तर नहीं है। दोनो अपने लम्बे वालो को समेटकर उण्णीष बाधते हें । यह है सन्‌ ८५० ई० पू०। ३० ११५० ई० पू०-- १ हम अब तीन सो वर्ष पीछे जाते है। ताप्र-युग है। ३ ४ सप्तसिन्धु पंजाब मे भरत जन के राजा सुदास की तपी है। ५ वेदिक छन्द भाषा आरयों की भाषा है दूसरो की किरात और द्रविड भाषाये। ६ जन-व्यवस्था से अभी-अभी आर्य सामन्ती व्यवस्था मे आये हैं। अनार्य बहुत भारी_सख्या मे. उनके यहाँ दास के तौर पर काम करते हैं। द्‌




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