मुक्ति का रहस्य | Mukti Ka Rahsay
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.62 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(3७. )
काम -यूरोप में नगर की बोद्धिक कला ने यूरोप का दुराचवार-
- तब राँदा जीवन, लेकिन साथ ही साथ नेतिक दाग बनेडशा के लिये
झसह दो 3० | उन्दोने जो था, जेला था साफ़ कर दिया !
पार्चात्य सभ्यता के सकषक पर के भीतर कितनी छुराइथों थीं, कितना '
खोसलापन था, बनेडेशा ने खोल कर दिखला दिया । शान यूरोप में
एक शोर तो चर सकपि हैं दूलरी श्रोर 'मयंकर म्र्डसिवादी, सदाप्घार
और घर्म को काटने वादे, रवस आर नरक की सिध्या भावना मिटाने
चाण । खेर यही तो जगत है | यद्दी जीवन है । इलारा मतलब यहां
से नहीं, उस बुद्धबाद से देजों इमारे साइित्य के उन
सखमाकोचकों की नज़र में बदनाम हो रहा हैं, जिनकी सावुकता भथकर
है, लेकिन दधनीय |. हर
इसारे लादित्य में निर्माय होने बगा है । तो शुभ हैं झेकिन
अभी समन्तदीरी की जरूरत है । ग्येसे ने था. “रप्वयिता के लिये.
सब से पढणी बात दे होना, अगर बद बीमार है तो ठसे स्वस्थ
कसम उठान' चाहिए ' शोर “खियाँ शाइिस्थ और कला के
साथ जो ना केर ले सेकिन घुरूर्षो को तो संधस के साथ काम लेना
दी दोगा ” मारे से्कों को स्थेते का यू करना सम खेना !
सादित्य ओर कण में अपनी बीमारियों को दिखा देना मारे लिये
अच्छा नहीं दे । जिस करती को इम अपने जीवन सें अनुभव कर रहे
हैं, वह सादित्य का नढ्टों है। उसे मार ढातना छोर ! कोई
रोचक कथा कर उसे नीचे »पर से जज देना, फक दून चुरा दें ॥
दलारे सोदत्थ में झधिकाश यही हो रहा है । इसारे लेखक तायसेन की
रचना करने ते दें, लेकिन भावायेश में रास्ता भूल जाते हैं आर
नूरजद्दों का निर्लाग्य कर बेद्ते हैं। अतिसा की सफजता जीवनबल के
नापी जाती है । कक के पूर्ण यत्र से जीवन का जगत सुन
डी दे | जीनन के वे सत्य जो हें, लासने कॉये जाय, रोष देना
। अपने भीतरी विकारों भीर को समाकर साहित्य का
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