अध्यात्म चिंतन | Adhyatma Chintan

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Adhyatma Chintan by हरिश चन्द्र ठोलिया - Harish Chandra Tholia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[5३ कारण है इसलिए उसे प्रति दिन ही रहित श्रौर एकाग्र चित्त से यथा नियम/करना चाहिए । सामायिक करने की विधि ।- सामायिक का उत्कृष्ट काल ६ घडी, मध्यम ४ घड़ी और जघन्य दो घडी है यदि ६ घडी सामायिक करना हो तो सुर्योदय से ३ घडी पहिले से ३ घडी : बाद तक, यदि ४ घड़ी करना हो तो २ घडी पहिले से २ घडी बाद तक श्रौर यदि २घडी करना हो तो १ घड़ी पहिले से १ घड़ी बाद तक ऐसे ही मध्याह्न व सायकाल मे करना चाहिए । सामायिक करने वाले को शुद्ध वस्त्र पहिन कर किसी एकास्त स्थान में जहा डास मच्छर न हो, कीलाहल न हो, चित्त मे'गडबडी डालने के कारण नहो, सर्दी, गर्मी व वर्षा की बाधा न हो, राग रंग का स्थान न हो ऐसे स्थान मे जाकर किसी निर्जीव शिला व भूमि को नरम' पीछी या वस्त्र से. प्रमाज॑न_ करके पूर्व या उत्तर मुख करके खड़े होना चाहिए शभ्रौर दोनो हाथ कमल की बौडी के झ्ाकार जोड़ कर मस्तक से लगा कर तीन वार शिरोनति करना (मस्तक कुंका केर णमोस्तु मरना) श्रौर «४ नम सिद्ध म्य , 3 नम सिद्ध भय , ८ नम, सिद्ध स्य॑ इंस मन्त्र को उन्वारण करना चाहिए, पश्चात सीधे खंडे होकर दोनो हाथ सीधे छोड देना चाहिएं और' दोनो के भ्रग्र भाग मे चार अगुल का श्रन्तर रहे। इंस प्रकार , मस्तक को भी सीधा श्रौर नासाग्र दृष्टि रखना चाहिए श्रौर € बार रामोकार मन्त्र का जाप “करके श्रष्ठाग' नमस्कार करना' चाहिएं ।




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