हिंदी व्याकरण | Hindi Vyakarana

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Hindi Vyakarana  by गंगाप्रसाद - Gangaprasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ पाठ २ व्ावभाग 1110एएव 0 है... चचिमाग 07पा०्टुपरए में अक्षरों के आकार उध्चारण और उनसे नियमाजुसार चाव्द चनाते का चर्सीन हे । चणों या झक्षर .०तट उस छाटी से छोटी आवाज के करते हैं जिसके दुकड़े न हो सके । जैसे अ इ क इत्यादि । लिखने की भाषा में अश्वर उन सड़ेतेी के कहते हैं जा बुद्धि मातें ने उपयुक्त चर्णे के लिए नियत कर लिये है । वर्णी के समुदाय के चोमाला 21/0०0८ - कहते हैं | दिन्दी-भापा की चर्समाला में ४६ मुख्य अक्षर हं। इन के दे मद हैं । स्वर १०५९ श्रार व्यह्न ए०नणणाणाड । स्वर १0७९ चह अक्षर है जिसका उद्चयारण बिना अन्य अक्षर की सहायता के हे सके जैसे अ आ इ ऊ 1 व्यूजूजन ए0ा5०- 015 उन अक्षरों का नाम है जो बिना स्व की .सददायता के सं चले जा सकते जेसे क ख ग इत्यादि 1 स्वर १६ हु। ं अनवाइइउऊपण पे सागाओंअः ऋरू। रनके 1 दा भेद हैं । १ हुस्बू 5001 जिनके उद्चारण मे सबसे कम काठ लगता हू । ये चार है आर इ उ कद | कर जद १ # +्हन्दा मापा में झूग यण कंवन आप झूठ ऋण प्यादि संस्कृत शब्दी में ला छू 1 पन्य शपारी पर सका प्रशग मे सा झाता | ः हा सेरामन्यानग्णा ह रररलनइुसनु मुंह पद न 9. की द पायाव में तन मेद फिये हैं। तीसस भेद शस्त्र रू इन एफ | श सा झा टम्दीन्मापा झ धिसता स्तिए घट सा दर मय हिन्दीनमापा में सही सिसता इसलिए बह टाट




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