राजपूताने का इतिहास | Rajputane ka Itihas

Rajputane ka Itihas  by महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ सिंदसूरि तथा चारिन्नचुन्दरगणि के लिखे हुए कुमारपालेचरितों में गुजसत के सोलकियों का करण और जोनराज-रखिंत राजतरंगिणियों में कश्मीर... पर राज्य करनेवाले मिन्नभिक्ष देशों का संध्याकरनंदी-विरचित रामचस्ति में दंगाल के पालवैशियों का श्ानंदमद के चल्ालचरित में बंगाल के सेन घंशी राजाओं का मेरुतुंग की प्रबनधचिन्तामणि में गुजरात पर राज्य करने- वाले चादड़ों शौर सोसकियों के अतिरिक्त मिंच-भिन्न राजाओं और विद्वानों श्रादि का राजशेखरसूरि-रखित चतुर्विशतिप्रबन्ध में कई राजाओं विद्वानों और धर्माचायों का नयचन्द्रसूरि के इस्मीरमदाकाव्य में सांभरं श्रज्मर और रणथभोर के चोहानों का तथा गंगाधरक्थि अ्रशीत मेडली के काव्य में गिरनार के कतिपय चुड़ासमा यादव राजाशं का इतिडास लिखा गया था। इन पतिहासिक प्रत्थों के झतिरिक्त सिन्न-मिन् विषयों की कितनी ही पुस्तकों में कहीं प्रंसंगवशात्‌ प्रौर कह्दीं उदादरण के रूप में कुछु-न-कुछु पेतिडासिक बुत्तान्त मिल जाता है। कई नाटक ऐतिहासिक घटनाओं के धार पर रे हुए मिलते हैं और कई काव्य कथा आदि की पुस्तकों में . ऐतिहासिक पुरुषों के नाम एवं उनका कुछ बृत्तान्त भी मिल जाता है जैसे पतंजलि के. मद्दामाष्य से साकेत - अयोध्या और मध्यसिका. नगरी चित्तोढ़ से सात मील उत्तर - पर यबनों यूनानियों के श्याक्रमण का पता लगता है । सदाकबि कालिदास के मालविकाशिमित्र नाटक में शुंग चेश के संस्थापक राजा पुष्येमित्र के. समय में उसके पुत्र झाझिमिन्र का विदिशा भेलसा में शासन करना घिदर्म चराड़ के राज्य के लिए यशसेन झऔर माघवसेन के बीच विरोध होना माधवसेन का विदिशा जाने के लिए सागना तथा यज्ञसेन के सेनापति-द्वारा क्रेद होना माधवसेन वो छुड़ाने के लिए झझिपित्र का यह्वलेन से युद्ध करना तथा विद के दो विभाग कर एक उसको शऔर दूसरा माधवसेन को देना पुष्यमित्र के झश्वमघ के घोड़े का सिघु कालीखिन्ध राजपूताना नदी के दक्षिणु- तट पर कं यूनानियों झ्वाराः पकड़ा जाना घसुमित्र का थवनों से




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