जीवन | Jeevan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७) किये वे जि :से पे सूव फेम बे पे नेट उसे सो 2नठे गे ८ शव 2: फचि ता न 'चराचर जगत को रचना विशेष पर । उत्तकी महिमा का वादा पदार्थों में अन्वेघण करने वाले बहुत हैं परन्तु सौश्ाग्य सस्पत्त ऐसे पविन्न आत्मा बहुत न्यनहोंगे जो उसकी विविध रचनाके सौन्द्ये को अपने भीतर देखने वाले हैं । और देखकर उस . का चिनतिंश्नाव से घन्घवादू करने वाले हैं । उस ससय को छोड़ दीजिये जब कि हसारी बनावटका चित्त हसारे साता पिता के विचारों में दायुकी शकल मैं होता है । एवं उस समय को शी जाने दोजिये जब कि हसारा शरीर रज वीय्ये की दो चार विल्दुवों सें गुप्त होता है या, हसारा शरीर साता के गझे से निवास करता है और हसारे 'बिषय मसें हसारी प्यारी सातायें नाना प्रकार की कलपनायें उठा ९ कर सम्सूबे गांठा करती हैं । क्योंकि उस ससय की कथायें नतो हसको याद हैं / औरैर नहीं हो सकती हैं । एवं नही हमारे साता 'पिता हसको बता गये हैं । किन्तु उस समय को अजवगाहन कीजिये जो- को हसारा अपना है और




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