भारतीय दर्शन परिचय खंड 1 | Bharatiya Darshan Parichay Khand 1
श्रेणी : भारत / India, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
153.56 MB
कुल पष्ठ :
204
श्रेणी :
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No Information available about प्रो. श्री हरिमोहन झा - Prof. Shri Harimohan JHa
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न्याय शब्द का झर्थ -न्यायशारत्र के अन्यान्य नाम-स्यायशास्त्र का उदेश्य और प्रयोगन-- . यापशास्त्र को सहत््व-नस्यायकार सोतस नूगोतण के सोलद पदाथन्यायसुब्र का विषय का. हक ८. _ मामिक विकास --न्याय का साहित्य-मंडार--इस ग्रंथ का दिवय-दिन्यास है न्याय शब्द का दे जाता है। _ १ साघारणतः शब्द का अथ होता है नियमेन ईयते झर्थात् नियमयुक्त . व्यवहार । न्यायालय न्यायकर्ता आदि प्रयोग इसी झर्थ को लेकर हैं । मम २ प्रसिद्ध द्टास्त के साथ सदर झर्थ में थी न्याय शब्द का व्यवहार होता है यथा वीज्ञांकुरन्याय काकतालीय न्याय स्थालीपुलाक न्याय इत्यादि ३ किन्तु दाशंनिक साहित्य में न्याय का अर्थ होता है न्न्न्न्ल्याय शब्द का प्रयोग अनेक श्थों में किया का था उस नोयत विवक्षिताथपिजिरनेन इति न्याय पर झर्थात् जिसके दारा किसी प्रतिपाद्य विषय को सिद्धि की जा सके जिसकी सहायता... _ से किसी निश्चित सिद्धान्त पर पहुँचा जा सके उसी का नाम न्याय पक 1. एक दृष्टान्त ले लीजिये । सामने पहाड़ पर घुझाँ देखकर आप श्रचुमान करते हैं कि... चहाँ ज़रूर झाग है। इस विषय को सिद्ध करने के लिये निस्नोक्त तकप्रणाली का करना पड़ेगा । १ पंत पर अग्नि हो ३०१७९ प्रतिज्ञा एप का का. सका यु .......... ३ जहाँ घुआँ रहता है वहाँ झाग भी रहती है जैसे रसोईघर में ब्दाइस्थ ४ पव पर सी चुझों दे. का. रा हि कक एक .. ... पू इसलिये पव॑त पर अग्नि है खा हि सर के निममल हे न .... यहाँ प्रतिपाद्य विषय है पर झर्नि मन दल का होना का यह साध्य वा प्रतिज्ञा है । इसका...
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