निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता के विविध आयाम | Nirmal Verma Ke Katha Sahitya Mein Aadhunikta Ke Vividh Aayaam
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
272.01 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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: -डा० विशम्भर नाथ उपाध्याय ने सापेक्षता का सम्बन्ध देश काल व्यापी अस्तित्वादी
रेखा पर निर्दिट करते हुए लिखा है- अस्तित्व का अर्थ ही है कि हम किसी काल
में स्थित और किसी देश में स्थित तथ्य पर विचार कर रहे हैं।*
यह विचार दो रूपो में व्यक्त हुआ हैं:-
पहले रूप में वह तटस्थ है और दूसरे रूप मे संयुक्त। दोनो ही रूपों में आज का.
व्यक्ति अधिक संवेदनात्मक बन गया है यद्यपि परिवेश के दबाव मे दटूटना आधुनिकता
का लक्षण नहीं है बल्कि परिवेश से जुझने की आन्तरिक व्यथा के चिन्ह उकेरने में
ही आधुनिकता अपने सही अर्थ को स्पाट करती है। उदाहरण के लिए मध्यकालीन
सामन्ती व्यवस्था में सामान्य जनता का शोषण होता था। वह अपना स्वतन्त्र आर्थिक
एवं सामाजिक विकास न कर पाने के अर्थ मे परतन्त्र भी थी किन्तु उसकी जीवन .
व्यवस्था इतनी छितरायी हुई नहीं थी जितनी हमारी आज की जीवन व्यवस्था है। आज
हम अपने संविधान के अनुरूप स्वतन्त्र हे किन्तु परिवेश के दबाव में स्वयं को बाह्म
खण्डित और किसी अर्थवेता की तलाश में जुझता पाते हैं। हमारे आज के संघ की
प्रवृति नितान्त आधुनिक हैं। आधुनिकता केवल नयापन है तो अब प्रश्न यह उठता हैं
कि नये और पुराने का भेद किस प्रकार किया जाये | तव स्पाठट रूप से एक ही उत्तर... |
सामने उछलता है कि समय सापेक्षता के आधार पर भूत और वर्तमान का आकलन व
किया जाये। आधुनिकता युग की माँग को ध्यान में रखते हुए एवं भ्राट परम्पराओं |
_ का परित्याग करती है और मूल्यों को अवधारित करती हैं जो वर्तमान सन्दर्भों में...
समाज के लिए लाभप्रद एवं स्वास्थ परक छो सकते है 1... न
आधुनिकता इन मूल्यों का पुनःसंस्कार करने के पश्चात् इसको एक नये रूप में
प्रतिष्ठित करती है। इस प्रकार जिस युग में इन अर विचाउँं/की प्रमुखता हो जाती है वह. &
युग अपने पूर्ववर्ती युग की तुलना में अधिक आ हो जाता है। कहने का यह...
आशय बिल्कुल नहीं है कि नये युग में पुरानी
विरोधी मान्यताएं सर्वथा लुप्त हो . है
जाती हैं। वे भी जीवित रहती है; परन्तु उनका स्थान नयी. विचारधारा की अपेक्षा गौण |
हो जाता हैँआधुनिकता की इसी काल सापेक्ष विरोध-मूलक विचारधारणाओं पर ध्यान .. ह
करते हुए विपिन कुमार अग्रवाल लिखते है कि - जहाँ विरोध दीखे वहीं आसपास. |
आधुनिकता के. मिलने की सम्भावना अधिक होगी।* विरोध का न होना आधुनिक... /
परम्परागत न होना, एक खण्डित किया होमा। आधुनिकता का स्वरूप जों कल था. था पर
वह आज हो, जो आज ज है वह कल भी हो, यह दावा नहीं किया जा सकता है।
आधुनिकता का स्वरूप शाश्वतरूप से काल सापेक्ष है। आधुनिकता एक तरहं की... |
.. संश्लिष्ट विचार पढब्ध्धति है, उसे से समय सापेक्ष समकालीन विचार पद्धति के रूप में ही... ॥
... व्यहण किया जा. सकता है। किसी समाजिक या व्यक्तिगत दर्शन से. जोडकर ... |
विश्लेष्ति नहीं किया जा सकता 1...
डी समीक्षा -नये सन्दर्भ, पृष्ठ 61...
2. आधुनिकता के पहलू पृष्ठ 23
_ . ६. 0एतलाएंधि छाप 00एांहाएुए
4-जलते और उगलते प्रश्न पृष्ठ 69...
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