बर्नियर की भारत यात्रा | Barniyar Kii Bhaarat Yaatraa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21.74 MB
कुल पष्ठ :
447
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बर्नियर की भारत यात्रा / 11 और उसकी युँक्ति तथा रीति नीति किस ढंग की थी। मीर जुमला ने जिस भांति शाहजहां के तीसरे पुत्र औरंगजेब की क्षमता और सर्वोपरिता का सिक्का जमाया उसका विवरण इस प्रकार है। मीर जुमला जिस समय औरंगजेब को दक्षिण की सूबेदारी दी गई थी उस समय मीर जुमला नामक एक व्यक्ति शाह गोलकुंडा का मंत्री और उसकी सारी सेना का प्रधान अध्यक्ष था। मीर जुमला का जन्म ईरान देश में हुआ था और भारतवर्ष में आकर उसने बड़ी प्रसिद्धी प्राप्त की थी। यह व्यक्ति उच्च कुल का न होने पर भी बुद्धिमान बहुत था । वह पूर्ण योद्धा और कामकाज में विशेष निपुण था । उसके पास बहुत धन था परंतु यह धन उसने केवल गोलकुंडा नरेश का मंत्री होने के कारण से नहीं इकट्ठा कर लिया था वरन देश देशांतरों में व्यापार की फैलावट तथा हीरे की खानों के ठेकों से भी जो दूसरों के नामों से ले रखे थे पैदा किया था। इन खानों की खुदाई निरंतर इतने परिश्रम से होती और उससे इतनी अधिकता के साथ हीरे निकलते थे कि उनकी गिनती न की जा सकती थी। उनकी गणना के लिए उसने यह नियम जारी कर रखा था कि हीरों से भरे बड़े बड़े टाट के बोरे गिन लिए जाया करते थे। उसकी राजनैतिक शक्ति भी बड़ी प्रबल थी जैसा कि इस बात से मालूम होगा कि गोलकुंडा नरेश का प्रधान सेनाध्यक्ष होने के सिवा उसने खास अपने लिए अपने खर्च से एक बहुत बड़ी सेना एक तोपखाने सहित जिसमें प्रायः ईसाई नौकर थे नियुक्त कर रखी थी । यहां पर यह भी कह देना आवश्यक जान पड़ता है कि कर्नाटक पर अधिकार करने के बहाने उसने वहां के सब प्राचीन देव मंदिरों को लूट लिया और इस प्रकार अपनी संपत्ति को बहुत ऊंचे दरजे तक पहुंचा दिया था। गोलकुंडा का शाह मीर जुमला को अपने पास से दूर कर देने अथवा मार डालने का अवसर ढूंढ रहा था। उसे स्वाभाविक रीति से ही ऐसे मंत्री को देखकर डाह होती और एक आज्ञाकारी नौकर न समझ कर उसे वह अपना भयंकर शत्रु समझता था। इतना होने पर भी इसके शुभचिंतकों और मित्रों के डर से जो सदा दरबार में वर्तमान रहते थे वह अपना इरादा बहुत छिपा कर रखता था। गोलकुंडा शाह की मां की उमर अधिक हो गई थी तो भी अब तक वह बहुत सुंदर थी । बादशाह को कहीं से खबर मिली कि मंत्री और उसकी मां में कुछ अनुचित संबंध पैदा हो गया है। इतना सुनते ही जो बात बहुत दिन से उसके हृदय में छिपी थी वह सहसा फूट पड़ी । उसने ठान लिया कि इस भयानक शत्रु को इस अपराध के लिए अवश्य दंड देना चाहिए ।
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