प्राचीन भारत का इतिहास | Prachin Bharat Ka Itihas

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Prachin Bharat Ka Itihas by डॉ. गिरिजा शंकर - Dr Girija Shankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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... प्राचीन भारतीय इतिहास के. स्रोत... इतिहास -;विषय-तथा इतिहास में साध्यों का महत्व : ,... , ८ -... इतिहास, शब्द 'इति' 'ह' तथा -आस' इन तीन -शब्दों से मिलकर-.बना हुआ, शब्द है जिसका अर्थ है 'ऐसा निश्चित रूप. से हुआ'। यह स्पष्ट है कि इतिहास पूर्वजों की अध्ययन- करता है। इस अध्ययन:के अन्तर्गत वह उसके-विंविध प्रकार -के कार्यकलारपों, उसके द्वारा निर्मित विविध राजनीतिक एवं सामाजिक संस्थाओं तथा.उसंकी विविध मान्यताओं की चर्चा. करता है। इतिहासकार को अतीत प्रत्यक्ष .रूप में .प्राप्त नहीं: होता, अपितु .अतीत के विषय में न 'कुछ साक्ष्य प्राप्त होते हैं, जिनके. आधार-पर-वह, अतीत का निर्माण-करता है।-ये साक्ष्य आधार :पर इतिहास. लिखा- गया या जाना गया, हमें सरलता से प्राप्त नहीं हुआ. और इसीलिए कुछ- समय पूर्व तक -विदेशी विद्वानों. क़ी. यह. मान्यता थी कि भारतीयों का कोई- इतिहास ,ही नहीं .है । यह विचारधारा पाश्चात्य, इतिंहासकारों ,की शायद इसलिए है कि. प्राचीन ' भारतीयों - का - दृष्टिकोण - आध्यात्मिक प्रधान था । वास्तव में , यदि तिथि ' क्रम .के प्रश्न को. पृथक कर दिया जाए तो यह निश्चित :रुप से स्पष्ट हो जाएगा कि प्राचीन -इतिहासकारों में इतिहास बुद्धि का अभाव था, अपितु .यह.प्रमाणित होगा. कि भारत के प्राचीन . ग्रन्थों . में बहुमूल्य . ऐतिहासिक सामग्री निहित, है..जिसे विविध रूपों ..में प्राप्त. किया जा सकता है। ये साक्ष्य विविध रूपों में होते हैं यथा, साहित्यिक रंचनायें अथवा दस्तावेज, स्मारक, सिवके, लेख इत्यादि। इन खंण्ड-खण्ड, प्राप्त साममियों को आधार बनाकर इतिहासकार अतीत में जो. कुछ घटित हुआ -उसको .एक का सरलता से . यहण--करने योग्य रूप में - प्रस्तुत करने की. चेष्टा-करता है। इतिहासकार ,सांधष्यों . को अत्यन्त पवित्र मानता है और अपने प्रत्येक मत एवं कथन के समर्थन में. वह किसी न.किसी साक्ष्य का हवाला देता- है । इतिहासकार -कभी भी. केवल, कल्पना के आधार पर कोई बात. नहीं - कहता । इस प्रकार इतिहास में साक्ष्यों का महत्त्व वेसा ही होता है जैसा कि अदालत में - अपनी बात के समर्थन में वकौल- द्वारा दिए -गए सबूतों का। . ..- . -. ५... ;- प्राचीन भारतीय ' इतिहास के स्रोतों का . वर्गीकरण ... -. . «.. .... ८. ०: ::. : जहां. तक प्राचीन भारतीय .इतिहास के स्तरोतों का प्रश्न है; इन्हें मुख्य रूप, से. निम्न वर्गों के अन्तर्गत.विभक्त किया जा. सकता है- : पुरातात्विक, साहित्यिक,-विदेशी -विवरण । व 1.. पुरातात्विक- प्राचीन भारतीय इतिहास के ऐसे कई. युग हैं .जिनके .विंषुय. में में मुख्य रूप से पुरातात्विक उत्खननों से. ला ओऑ से जानकारी मिलती है.। “भारत के प्रामैतिहासिक काल के विषय में हमारी जानकारी पुरातात्विक साक्ष्य के ऊपर ही आधारित, है ।..भारतीय सभ्यता के प्रथम चरण सैन्धंव सभ्यता के विषय: में हम. कुछ भी नहीं जान पाते, यदि इसके विपय:में हमें पुरातात्विक साक्ष्य से संहायत्ता नहीं मिलती ।




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