तिब्बत में तीन वर्ष | Tibbat Men Tiina Varshh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_ है। तिव्बतमें अंगरेजोंकि प्रचेशके साथ अंगरेजी का. भी प्रवेश होने लगा है । तिब्बतियोंकी आांखें कब तक बन्द रहेगी ? काघागुचीने जिस समय तिब्बतमी परराष्ट्रनीतिके - न्घर्में अपने विद्यार प्रगट किये थे उस समयसे संसारकी, ओर उसके साथ तिब्बतकी, बातें बहुत कुछ बदल गयी हैं। पर इससे उनकी पुस्तकके महत्त्वमें रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता । कई अंशॉ्म'ं तो बादकी घटनायें* वैसी ही हुई हैं जैसी उन्होंने भविष्युद्वाणो की थी |. तिव्यत-पय्य टक कई हुए हैं, पएकसे पक साहसी और मभोगोलिकतत्वान्वेषक, पर. कावागुन्नीके समान तिब्बतीय जीवनका मम्म कोइ नहीं जान सका । एक तो चह स्वयं बौद्ध और मगो ठीय सभ्यताके अनुयायों, दूसरे, उन्होंने तिब्बतमें तीन व्षे बताये । पुस्तकका नाम ही पुस्तककी उपादेयताका सबसे बड़ा प्रमाण है। काचा गुची की 'घर्मे पराय णता, सत्सादइस और सरखता-पर सबसे अधिक उनकी प्रशान्त मुख- च्छघि-इस समय भी भूले नददीं ूलती । इस यात्राकें बाद कई बरस उन्होंने संस्छुतके अध्ययनम काशीमें बिताये । अंगरेजी नाथ मात्रकों ज्ञानते थे। अपना भ्रमण चृत्तान्त पहले उन्होंने जापानी भाषामें लिखा था ।. बड़े भावुक और कवि थे। देश- प्रेस तो उनकी नसनसमें भरा था ।. अपने देशके परडापुज़ा- श्यिोंको ओर सदाके लिये अंगरेजी! सा हित्यको शिक्षाकी अनिवा- य्यताब्दा द्रोल पीटनेवालोंको कुछ लज्ित होना चाहिये-अपना दठ और दुराग्रह छोड़ना चाहिये। कावागुची बौद्ध पुजारी




User Reviews

  • Khushboo

    at 2019-06-06 07:39:13
    Rated : 10 out of 10 stars.
    "Fantastic writing "
    Very good writing . First time know about old Tibet . Story bound us from start to end . Writer's level of writing and humor is marvelous .
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