प्राचीन भारत | Prachin Bharat
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.05 MB
कुल पष्ठ :
131
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)+्श्प आचीन भारत
समाज के ऊपर शासन करने के लिए उनमें राजा हुआ
करता था । वे लिखना-पढ़ना भी जानते थे । उनकी भाषा
उन्नत थी, लेकिन उनकी भाषा के अक्षर इमारे आजकल
के नागरी श्रच्रों की भाँति न थे ! शब्दों के स्थान पर
चित्रों और चिह्ठीं का प्रयोग करते थे ।
उनके समाज में माता का स्थान पिता से ऊँचा था ।
उनमें जाति-मेद न था । वे घार्मिक थे और भूत-प्रेत तथा
देवी-देवताओं की पूजा किया करते थे | एथ्वी धर सापों
का भी वे पूजन करते थे । उनमें पशुप्नों को चलि चढ़ाने
की प्रथा थी । ये मुर्दों को जमीन में गाड़ दिया करते थे !
खत खी या पुरुप के निजी गहने, दथियार और परलोक के
लिए भोजन की सामग्री भी गाढ़ते समय उमके साथ रख
देते थे ।
इ्पार्य जाति-थार्य जाति का विस्तारपूर्वक दाल दम
राग लिसेंगे । यहाँ केंदल इतना कहना काकी होगा कि
झाज भी भारतरासियों की झधिकतर संख्या झपने को
छाय-संतान कहने में ्वपना गौरव समकती हैं । यदद जाति
संसार की संम्य जातियों में चहुत ऊँचा स्थान रखती है ।
झार्य लोग देसने में सुन्दर होते थे। इनसा रंग गोरा,
शरीर सुडौल, कद लंबा, 'थाँयें काली तथा बड़ी श्रौर
नासू ऊँची दोती थी । जब संसार की नेक जातियाँ
संघकार में पढ़ी हुई थीं नव श्राय लोग सम्यता के उच्च
शिसर पर पहुँच झुफे थे ।
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