प्राचीन भारत | Prachin Bharat

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : प्राचीन भारत  - Prachin Bharat

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रमाशंकर त्रिपाठी - Rama Shankar Tripathi

Add Infomation AboutRama Shankar Tripathi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
+्श्प आचीन भारत समाज के ऊपर शासन करने के लिए उनमें राजा हुआ करता था । वे लिखना-पढ़ना भी जानते थे । उनकी भाषा उन्नत थी, लेकिन उनकी भाषा के अक्षर इमारे आजकल के नागरी श्रच्रों की भाँति न थे ! शब्दों के स्थान पर चित्रों और चिह्ठीं का प्रयोग करते थे । उनके समाज में माता का स्थान पिता से ऊँचा था । उनमें जाति-मेद न था । वे घार्मिक थे और भूत-प्रेत तथा देवी-देवताओं की पूजा किया करते थे | एथ्वी धर सापों का भी वे पूजन करते थे । उनमें पशुप्नों को चलि चढ़ाने की प्रथा थी । ये मुर्दों को जमीन में गाड़ दिया करते थे ! खत खी या पुरुप के निजी गहने, दथियार और परलोक के लिए भोजन की सामग्री भी गाढ़ते समय उमके साथ रख देते थे । इ्पार्य जाति-थार्य जाति का विस्तारपूर्वक दाल दम राग लिसेंगे । यहाँ केंदल इतना कहना काकी होगा कि झाज भी भारतरासियों की झधिकतर संख्या झपने को छाय-संतान कहने में ्वपना गौरव समकती हैं । यदद जाति संसार की संम्य जातियों में चहुत ऊँचा स्थान रखती है । झार्य लोग देसने में सुन्दर होते थे। इनसा रंग गोरा, शरीर सुडौल, कद लंबा, 'थाँयें काली तथा बड़ी श्रौर नासू ऊँची दोती थी । जब संसार की नेक जातियाँ संघकार में पढ़ी हुई थीं नव श्राय लोग सम्यता के उच्च शिसर पर पहुँच झुफे थे ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now