प्राचीन भारत | Prachin Bharat

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Prachin Bharat by रमाशंकर त्रिपाठी - Rama Shankar Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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+्श्प आचीन भारत समाज के ऊपर शासन करने के लिए उनमें राजा हुआ करता था । वे लिखना-पढ़ना भी जानते थे । उनकी भाषा उन्नत थी, लेकिन उनकी भाषा के अक्षर इमारे आजकल के नागरी श्रच्रों की भाँति न थे ! शब्दों के स्थान पर चित्रों और चिह्ठीं का प्रयोग करते थे । उनके समाज में माता का स्थान पिता से ऊँचा था । उनमें जाति-मेद न था । वे घार्मिक थे और भूत-प्रेत तथा देवी-देवताओं की पूजा किया करते थे | एथ्वी धर सापों का भी वे पूजन करते थे । उनमें पशुप्नों को चलि चढ़ाने की प्रथा थी । ये मुर्दों को जमीन में गाड़ दिया करते थे ! खत खी या पुरुप के निजी गहने, दथियार और परलोक के लिए भोजन की सामग्री भी गाढ़ते समय उमके साथ रख देते थे । इ्पार्य जाति-थार्य जाति का विस्तारपूर्वक दाल दम राग लिसेंगे । यहाँ केंदल इतना कहना काकी होगा कि झाज भी भारतरासियों की झधिकतर संख्या झपने को छाय-संतान कहने में ्वपना गौरव समकती हैं । यदद जाति संसार की संम्य जातियों में चहुत ऊँचा स्थान रखती है । झार्य लोग देसने में सुन्दर होते थे। इनसा रंग गोरा, शरीर सुडौल, कद लंबा, 'थाँयें काली तथा बड़ी श्रौर नासू ऊँची दोती थी । जब संसार की नेक जातियाँ संघकार में पढ़ी हुई थीं नव श्राय लोग सम्यता के उच्च शिसर पर पहुँच झुफे थे ।




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