समाज और नारी | Society And Women
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.23 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)0 परिवार जैसे कानून भी पुरुषों के हितो की ओर ही ज्यादा झुके हुए हैं एक सीमा तक ऐसी ही स्थिति वाकी सम्प्रदायों से सम्बन्धित कानूनों की है । इन सभी पुरुष प्रधान कानूनों पर काबिल व्यवस्था और उससे प्रभावित पुरुष की अआहमूदादी प्रवृत्ति का बहुद अधिक प्रभाव पट्टा है। इन परिस्थतियों में सार्थक परिवर्तन कानून में परिवर्तन करके ही लाए जा सकते हैं । नारी की इस परिस्थिति के लिए अशिक्षा संगठन क्षमता व इच्छा शक्ति के अभाव बडे परिवार का महत्त्व घर के कामों को गौण स्थान दरिद्रता व सम्प्रेपण सुविधा ओ का अभाव जैसे कारण भी उत्तरदायी रहे है । चिन्तन नहीं बल्कि चिन्ता योग्य बात यह है कि समाज में नारी को दूसरा दर्जा दिलवाने बाले इन कारणों को समय रहते पुरुष ने अपनी मानसिकता मे परिवर्तन कर दूर नहीं किया तो भारत में भी महिला आदोलन पश्चिम की तरह विकृत दिशा ले सक्रता है जिसका नुकसान पुरुष नारी व सम्पूर्ण समाज को भुगतना पड़ सकता है बदो कि प्रसार माध्यमों ने दुनिया को इतना छो टा बना दिया है कि अब केवल भारतीय नारी ही सती- सावित्री जैसा व्यवहार हर प्रकार से रावण पुरुषों के सामने नहीं करती रह सकती है। 0
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