समाज और नारी | Samaj Aur Nari

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Samaj Aur Nari by मान चंद खंडेला - Maan Chand Khandela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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10 परिवार जैसे कानून भी पुरुषो के हितो की ओर ही ज्यादा झुके हुए हैं | एक सीमा तक देसी हयी स्थिति वाकी सम्प्रदायो से सम्बन्धित कानून की है } इन सभी पुरुष प्रधान कानूनो पर काबिल व्यवस्था और उससे प्रभावित पुरुष की अहपूबादी प्रवृत्ति का बहुत अधिक प्रभाव অন है | इन परिस्थतियों में सार्थक परिवर्तन জানুন ম परिवर्तन करके ही लाए जा सकते हैं। नारी की इस परिस्थिति के लिए, अशिक्षा, संगठन क्षमता व इच्छा शक्ति के अभाव, बडे परिवार का महत्त्व, घर के कामों को गौण स्थान, दरिद्रता व सम्प्रेषण छुविधाओ का अभाव जैसे कारण भी उत्तरदायी रहे है । चिन्तन नहीं बल्कि चिन्ता योग्य बात यह है कि समाज मे नासी को दूसरा दर्जा दिलवाने बाले इन कारणों को समय रहते पुरुष ने अपनी मानसिकता मे परिवर्तन कर दूर नहीं किया तो भारत में भी महिला आदोलन पश्चिम की तरह विकृत दिशा ले सक्रता है, जिसका नुकसान पुरुष, नारी व सम्पूणं समाज को भुगतना पड़ सकता है, वयो कि प्रसार मध्यमो ने दुनिया को इतना छो टा बना दिया है कि अब केवल भारतीव नारी ही सती- सावित्री जैसा व्यवहार हर प्रकार से रावण पुरुषों के सामने नहीं करती रह सकती है। 994




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