वैराग्यशतक | Vairagya Shatak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
199.18 MB
कुल पष्ठ :
648
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बाबू हरिदास वैध - Babu Haridas Vaidhya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)0. 5)
भा
हू! महाराजा भतेहारि
दर
सु २
शब्द बूहते हैं, कोई दो हज़ार वष पहले, राजपूतानेके मालवा
दर क उज्ञयिनी नगरीमें,--जिसे आजकल उज्जेन
अप हैं, एक उच्च श्रेणीके विद्वान ,नीतिकुशल,न्याय-
_. परायण, प्रजावत्सल, सब्वंणुणसम्पन्न नपति राज करते थे । पर
का शुभ नाम महददाराज मत हरि था । आप अपनी प्रजाकों निज
सन्तानसे भी अधिक चाहते थे ओर उसीकी हितचिन्तनामें दिन-
रात मशयूल रहते थे । आपकी न्यायप्रियता और प्रजाहितेषणा ..
की चर्चा सारे भारतमें फेल गई थी, इसलिये अन्य राज्योंकी बहु
संख्यक प्रजा भी अपना देश छोड़कर आपके राज्यमें आ कर बर
गई थी, इससे उज्जयिनीकी शोभा-समुद्धि आजकलके कलब़त्तें
बस्वईके समान होगई थी । राजाके घर्मपरायण होनेके कार
User Reviews
No Reviews | Add Yours...