अफगानिस्तान का इतिहास | Afaghanistan ka Itihas

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Afaghanistan ka Itihas by भवानी चरण दत्त - Bhawani Charan Dutt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 'हुच्या है। बौचमें भी सुशक्लिसे १४ फुट गद्दरा 'छोगा | यद्ली सील गजनौकौ नदिवोंकी प्रधान जननी है । व्यफगानोंका डै, कि नदी इस सौलमें प्याकर शिरती झै। किन्तु यह ठोक हे । सौलके जलका चार व्यौर कड़वापन वतका खरण्डन करता है। जो सछलियां गजनो नदौसे चढ़कर सोलक खारे जलमें पहुंच जाती हैं, वच्च ठच्चरत नह्दों, मर जातो हैं ।” स्पफगानस्थानव्ती खानियोंके विघयमें परलोकगत व्यसौर, व्यपनो पुस्तक “तुजुक व्यव्द,र्मानी”में लिखते हैं;-“व्यफ- _ शानस्थानमें इतनी खानियां हैं, कि सबसे प्रतिपत्तिशालौ देश उसको 'छो कोना चाहिये ।” सचसुच ो व्यफगानस्यथान खानि- _ यॉसे भरा छुद्या है।. लघसान उसके निकटक्तों जिलीमें सोना पावा नाता है। छिन्दूकशके समीप प्नशोर दर्रक सिरेपर चांदौको खानि ै। पेशावरसे उत्तर-पश्चिम खतग्स देश वाणारके प्यन्तर्मगत, उच्च दास्म मोसलके मध्यश्य निलॉंमें वहुत वढ़िवा लोछ-चूर्ण मिलता है। वामियान घाटों व्योर छिन्टूकुशके व्यनेक थागोंमें लोदा मिलता है। तांमा व्यफंगानस्थानक कितने ो व्यंशो्सें देखा: गया डे । कुरम जिसके सुफेदकोक शिनकारों देशमें च्योर काकाप्रदे सोसा घातु मिलतो हू । समोप सो सौसेकी खानि झ। च्यरगान्दा, वारदक पद्दाड़ी, गोरवन्ट दररा च्योर च्यफ्रीदियोंक देशसें भी सीसा सिलता है। व्यधि- कांश रोना एजारा देशसे व्यप्ता है। यदां यद् घातु जसीन- परसे वटोर सा जाती है। कन्यारसे /३६० सील उत्तर शाप




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