ब्रह्मा संहिता | Brahma Samhita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.73 MB
कुल पष्ठ :
558
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१ ८६
(ग्रन्थ रचना की सावशस्ता )
कर ग्रन्थ आज कल की भांति नहीं
गये जाने टॉंगे क्योकि उस युग दे मनुष्य मेघावी भीर स्मूति
ला करते छे । उन को सम्पूररी शाख्ें: के सून पाठ मुख्व
ज्चानी याद रखते थे 1 न तो उस घक्त आाज चल वी भाति
जार ऊलम स्याददी थी न प्रेस भादि की मुधिनरी
य मजुर्य अचप स्मृति मान दोने लगे जब इनकों लेसन
व्दला पी यावययन्ता पड़ी आर इन्दों ने प्रथप चूर्तो नी छात
और पचोपर च्श्नो फे रखे के हारा लिघना प्रारम्भ किया |
दस्त फिर घातुओं के पन्नों पर लिखना प्रारम्भ किया
फिर सूप पट अथीव् कपड़े पर मसात्दा छा! कर विदिघ
घक्ार के रंगों छारा लिखना पघारंभ किया अधवा इसे वाद
के युर्गो में लकड़ी के वसते बनया चर उस पर रंग चला कर
ग्रन्थ लिग्वना प्रारंभ किया इसके याद कागज को आधिग्कार
छुचा और उस पर लिखता दान क्या इसके दाद लक्डें का
चस येंच बनाकर पन्थर पर लिख कर छापना दुरू किया इस
प्रकार झन्थ लिखने की झंती चलती आई है । दमारे आायुः
घंड चिद्याके सन्त्र यु स्टोक भी इसी श्रेणी में परिवर्तन
दोते भाये है बोर भाज हमारे सामने मी चह प्रेस के रपट
अक्षरों में छपे हुवे घन्थ प्रत्यल सामने मौजूदा द।
तो.
स्दर्पि भारहान दे पुनर्यस और पुन से अग्निवेश,सेल
लवूकर्ण पाराशर हारीत और क्षारवाणी ये छे श्वाचाय भार-
दाज्ञ परिपाठी के हैं और धन्वन्तरी के सुशत औपेनव,
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