विनय कोश | Vinay-kosh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
160.91 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. महावीर प्रसाद मालवीय - Pt. Mahaveer Prasad Malviya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1
श्नुतापं |
अनुताप-+तपन, दाद, जलन । (२) दुःख, खेद,
रख । ( ३ ) पथ्चात्ताप, पछुतावा, झफूसोख ।
अनुदिन--नित्यप्रति, प्रतिदिन, रोज़मरों ।
अनुपम--झनुपमेथ, उपमा रहित, बेजोड़,
बेमिस्ल, बेनज़ीर, जिसकी बराबरी का दूसरा
न हो, लासानी |
नुपमेय--अनजुपम, उपमा रहित, बेनज़ीर । .
जुपान--ओषधि का सहकारी, दवा का सहयोगी
वह वस्तु जो झोषधि के साथ वा ऊपर से
खाइ जाय ।
शनुबन्ध--संखग, लगाव, चन्घन । (२) श्रारस्भ,
उत्थान,शुरू | (३) अझनुसरणु,साथ साथ चलना,
पीछे चलना | (४) झादि अन्त, योग्यायोग्य,
व््ागापी छाए। (५) व्याकरण मेँ चह प्रत्यय का लोप
होनेवाला इत्संज्ञक साजझेतिक वणु जो गुण श्द्धि
दि के लिये उपयोगी हो । (६) बात, पित्त
झ्ौर कफ में से जो अझप्रधान हो । (७) वेदान्त
में एक एक विषय का झधिकरण ।
ब्नुभये--उत्पन्न हुए, उपजे, भये |
झनुभव-उपलब्ध ज्ञान, तजरबा; परीक्षा द्वारा
प्राप्त ज्ञान । (२) स्सृति भिन्न ज्ञान, वह
ज्ञान जो साक्षातू करने से प्राप्त हे,
करने से पदाथ ज्ञान । ( ३ ) ज्ञान, विवेक,
समझदारी ।
_ झनुभवगस्य--उपलब्ध ज्ञान से प्राप्य, परीक्षा
द्वारा मिला हुआ ज्ञान, जो समभदारी तजरबा
करने से प्राप्त हा ।
चुभवति-श्रनुभव करती है, बोघ करती है
जिसने देख सुन कर जानकारों प्राप्त की हे
अनुभवे-शझवुभव किया, देख सुन कर स्वयमू
_ करके जाना, तजरबा किया ।
अनुभवे--झनुभव हे, जान कारी हे, तजरबा हे।
(२) जान पड़े, समझ में आवे, सूझे ।
अनुमत--झआाज्ञा, अजुज्ञा, हुक्म ।
अनुमति--सस्मति,ख़लाह,राय। (२) झाज्ञा,अनुज्ञा
हुक्म ,इजाजुत (३) चतुद्शी युक्त पूर्णिमा, वह
पूर्णिमा तिथि जिसमें चन्द्रमा की कला पूरी न हे।
(६६ 9
शनमुप |
अनुमान--विचार, भावना, झंटकल, झन्दाजा,
कयास । ः
अनजुयायी--अचजुगामी, अनजुग, पीछे चलनेवाला ।
(२) सेवक, दास, झजुचर ।
'नुरक्त--प्रेम युक्त, झासक्त, अनुरागी । (२) लीन;
लवलीन, आशिक ।
अजुराग--प्रेम, स्नेह, सूहब्बत ।
अनुरूप--सदश, समान, सरीखा, तुल्य रुप का |
(२) अनुकूल, उपयुक्त, याग्य ।
अनुव्ती--झअजुगामी, झजुयायी, अचुसरण करने
वाला, पीछे चलनेवाला । (२) सेघक, दास,
चाकर।
अनुशासन--झाज्ञा, आदेश,हुक्म | (२) उपदेश,शि-
चा, खिखावन । (३) व्याख्यान,वक्त ता,विवरणु ।
झनुसन्घान--झन्वेषण, खोज, ढढ़, जाचपड़-
ताल, तलाश, तहदकौकात 1 (२ ) चेष्टा, प्रयत्न,
काशिश । (३ ) अजुगमन, पश्चादू गमन
पीछे लगना ॥
झूनुखर--झनुसार, समान, एकरूप |
चुसार--झनुकूल, सदश, समान, मुझाफिक,
अन्ुद्दार, एकरूप ।
अनुखत्य--अनुसरण, अजुकरण, पीछे जाना । (२)
प्रतिच्छाया, प्रतिलिपि, नकल |
अनुदर--अचुद्दार, श्रछुकूल, येाग्य ।
अनुददरत-शनुकूल, उपयुक्त, येग्य। (२) अचु-
सार, सदश, समान |
झअनुददार--झनुसार, सदश, समान, सरीखा, एक-
रुप, तुल्य, मुझाफ़िकू । (२) प्रकार, भेद,
तरदद । (३) आकति, बनावट, गढ़न ।
झनुहारि-झनुसखार, अनुकूल, मुताबिक । (२)
समान, तुर्य, बराबर '। (३) उप युक्त, येग्य,
लायक । (४) आछऊति, चेहरा, सुखानी ।'..
अनूठा--झपूचं, विलक्तण, विचित्र, अद्भुत ब्प्र्नो
खा, झजीब। (२) सुन्दर, अच्छा, बढ़िया ।
अनूप--झनुपम, उपमा रहित, अद्वितीय, बेजोड़ ।
(२) जलप्राय देश, वह स्थान जहाँ जल
अधिक हे । (३) महिषी, भेस ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...