मतिराम - ग्रन्थावली | Matiram Granthawali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
121.85 MB
कुल पष्ठ :
508
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ कृष्णबिहारी मिश्र - Dr. Krishnbihari Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ मतिराम-ग्रंथावली
_ पत्नी, माता, पिता, बच्चे, गृह और देश, ये ही सब तो उस दशा
के केंद्र हैं, जो जीवन को अनुरागमय बनाते हैं ।'
कबरिता का प्रयोजन
कविता कई प्रयोजनों से की जाती है । आनंद भी एक प्रयोजन
माना गया हैं। यह आनंद लोकोत्तर होता है। कविता को छोड़
अन्यत्र इस आनंद की प्राप्ति नहीं होती । यों तो भूत-मात्र की उत्पत्ति
आनंद से है, जीवन की स्थिति भी आनंद से ही है, तथा उसकी प्रगति
और निलय भी आनंद में हो है, फिर भी कविता का आनंद निराला
है। आत्मा के आनंद का प्रकाश कला द्वारा ही होता है।
बाह्य रूप से तो कला द्वारा मनुष्य और प्रकृति-संसार का अनु-
रण किया जाता है । जो कुछ मनुष्य और प्रकृति में पाया. जाता.
है, उसी का प्रतिबिब कला में दिखलाया जाता है, परंतु कला का
आंतरिक भाव कुछ और ही है । कला की आत्मा प्रेम, शांति, सौंदय॑
और भानंद से बनी है । आनंद की कोई सीमा नहीं । वह कभी नाश
. ...... . नहीं हो सकता । कवितानंद को क्षणिक समझना भूल है। एक बार
_....... जब हम पूरे तौर से सच्चे सौंदयें और आनंद का आस्वादन कर लेते
. हैं, तो वह हमारे हृदयाकाद में सदा के लिये एक. उज्ज्वल तारे के
समान झलका करता है ।
कविता का आनंद निरुपयोगी नहीं है। वह लाभदायक है। .
1. भला जिस. आनंद की बदौलत . कल्पना-शक्ति का विस्तार होता है, के ५
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