यूनानी द्रव्यगुणादर्श खंड 1 | Yunani Dravyagunadarsh खंड 1

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Yunani Dravyagunadarsh खंड 1  by हकीम दलजीत सिंह - Hakim Daljit Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१३ - कक ००५... जवरइल ने उसकी परीक्षाकी और यह घोषणा की कि कुछ घटोमें रोगोकी मृत्यु अवश्यम्भावी है । इस समाचारसे खलोफा वहु्र दुखी हुआ । उसने भोजनका परित्याग फर दिया भर रुदन-क्रदन करने लगा । उसके दरवारी एव उपस्यित जन भी उसके महान्‌ दु खसे अत्यतत दुखित हुए । उनमेंसे एक ने उनके सामने यह सुझाव रखा कि भेलके उत्तराधिकारी सालिह को वुलवाया जाय जो मारतोय चिकित्सावितानका उसी प्रकार परम निप्णात हैं जिस प्रकार यूनानी चिकित्साविज्ञानका जमरइल । यह सुझाव स्वीकृत हुआ । चिकित्सककों आमभित किया गया। वह रोगीके निवासस्थान पर गया । उसकी परीक्षा की और खलीफाको बत्तलाया कि वर्तमान व्याधिसे फदापि रोगीकी मृत्यु नही होगी । उसने कहा कि यदि वर्तमान रोगसे रोगीकी मृत्यु हुई तो बह उन सभी वस्तुओोको छोडनेके लिए प्रस्तुत है जो उसके पास है । इसके तुरत वाद रोगीकी मृत्युका समाचार आया । सलोफा उसके परिचारक 610८1 उ्ताशे तथा सालिह सहिन अन्य लोगोके समक्ष उसकी दफनको तैयारी पूरी कर ली गयी । इन सभी कार्योफे विरुद्ध नालिहने प्रवल विरोध प्रकट किया । उमने पूरे विएवासके साथ इस वाहका समर्थन किया कि रोगी जीवित हूँ तथा चह उसे तत्काछ रोगमुक्त कर सकता है । उसने क्रियात्मक रूपसे इसे प्रमाणित कर दिया कि इग्ाहीम अयावधि जीवित है । उसने उसके दायें अंगूठेमें एक सुई चुभो दी जिससे उसने इग्माहीम-रोगीने अपना हाथ हटा लिया । तदुपरात सालिहके लादेदासे इग्राहीमका कफन हटाया गया उसे स्नान कराया गया तया उसे दैमिक वस्त्र पहनाया गया । इसके वाद सालिहने रोगोको नाकमें कुदुस ४टातापिषा ॉ9िण्णा फा चना कोई नस्प प्रधमित किया । लगभग १० मिनट वाद उसका शरोर फपायमान हुआ। उसे छोक लायी वह उठ बैठा और सलीफाफे जिसने उनसे जानना चाहा कि उसे क्‍या हो गया था हाथोका चुवन किया । उसने उत्तर दिया कि वह ऐसी गभीर निद्ामें सो गया था जैसो कि इसमें पूव वह कभी नहीं सोया था लौर उसने स्वप्न देपा कि एक फुत्ताने उसके वायें मेंगूठेमें काट ल्या हैँ जिसमें उठ वठनेके याद भी पीठा हो रही है । थे तीनों बगदादमें उस फालकें प्रमिद्ध देय थे। इन तोन सुप्रसिद्ध भारतीय चिकित्साबिदोंफे अतिरिक्त बगदादमें अन्य चिकित्सक भी रहे होंगे । परतु हमें उनके विपयमें कोई सूचना नही है । प्राचीन भारतीय चिकित्साविदो एव उनकी रचनाओंके विषयमे अरवोका ज्ञान फिर भी भरव विद्वान न केवल बगदादमें तत्कालीन भारतीय साधुओं एव चिकित्सा-शास्मियोंको जानते थे अपितु कतिंपय प्राचोन भारतोय चिकित्सकों एस धास्त्निष्णाततोकी भी युछ जानकारी उन्हें प्राप्त थी । अरब लेखकोने उनमेंसे कुछका विवरण दिया है ्ि १ कक --एक प्रसिद्ध और स्यात्त नामा आा्यंवं्यों सौर प्राचीनकालका एक फीर्पस्थ दार्धनिक था । जस्राव की खोजके लाघार पर इस नामका शुद्ध सस्कृत रूप ककनाया सभवत कान्ट्ायन होगा । वयोकि इस नामका प्रसिद्ध वैथ भारतवर्पमें प्रथम हो चुका है । २ सजहल सडेलिना --भारतका एक बिद्वानु था जो चिकित्सायिज्ञान भीर ज्योतिप 8500000709 में निप्णात था । दसका एक सग्रद्द ग्रय कितावुलू मवालीद नागरिकताविपयक ग्रथ नामका हू । १. इच्नवैंतार के मतसे जलूकुदुस को कुदुस भर ऊदुलूठतास भी कहते है । उनके मतसे इसका न तो दीसकूरीदूसने और न जालीनसने ही वर्णन किया है सथा हुनेन और उसके जजुयायियोंने प्रमादवद इसे दीसफ़रीदूसोक्त स्ट्रीयिक्नोन ? २ १९५ लिसा है जो इसस सचंथा एक मिन्न पौधा है । इ० ये० दे। १३ शाए०६ । २. तबकातुल अविव्या सचिका २ ए० देहनदेण अलफेरिस्स प्ृ० २७० २७१ तारीखुलू हुक्सा प्ृ० २६५ तयकातुलू अतिव्या सचिका २ प्ू० दे रे-३े3 । ४. उयूनुल्यू जेगा-फी तबकातुलू-अतिव्या सचिका २ प्र० ३३ सिख्र । ५. इडटियाका उपोद्धात ० ३२ ।




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