पर्व | Parv
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21.68 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एस. एल. भरप्पा - S. L. Bharappa
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बी. आर. नारायण - B. R. Narayan
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)14 पे यही मूल धर्म है । उसके उल्लंघन करने वाले किसी भी काम को मैं सहन नहीं कर सकता । पिता जी आपने मद्र देश से बाहर जाकर कहीं कुछ देखा नहीं । हमारे मद्र देश की स्त्रियों का सोन्दयं सब जगह प्रसिद्ध है । पर यहाँ रति-स्वातंत्रय है उस पर कोई नियन्त्रण नहीं । यह बात भी सब जगह फैली है । पूर्वी देशों में जाकर किसी भी तरुण से कहें कि मेरा देश मद्र है तो वह मारमिक व्यंग्य से कहता है अच्छा तो मित्र मुभे भी अपने देश ले चलो । मु्कें भी स्वगे-सुख भोगने की इच्छा है । मेरे विचार से इस सब पर रोकथाम लगानी चाहिए । यह हमारा देदाचार है । उसे ग़लत नहीं कहना चाहिए । पिता ने ज़ोर से कुछ घमकाते हुए कहा पर उनके स्वर में क्रोधन था । पुत्र ने उत्तर न दिया । दो साल से वह जानता था कि अब पिता का विरोध पहले जैसा नहीं रहा । चाहे स्वयंवर ही हो पर जल्दी हो जाना चाहिए । पोती जब-जब भी बाहर होती है पिता जी यह सोच कर दुखी होते हैं कि एक और जन्म का नरकवास बढ़ गया गुस्सा करते हैं भयभीत होते हैं । स्वयं उसे भी वह डर है । पर यह सोचकर कि स्वयंवर न रचा कर कन्या शुल्क लेकर वैसे ही बिना धूमधाम के यूँ ही बेटी को भेज दें तो हमारे कुल का नाम कंसे बढ़ेगा ? ठीक है । तुमने कहा न जुआ खेलने के बहाने स्वयंवर का प्रबंध करने गये थे । उसका क्या बना बतांओ ? तत्काल स्वयंवर करा सकने को स्थिति नहीं है । मैंने कहा नहीं कुलाचार छोड़कर चलने से सेकड़ों विघ्न पदा होते हैं । स्थिति नहीं का क्या अथ ? पिता का स्वर फिर से तीखा हो उठा । इस समय स्वर में क्रोध का भी पुट था । पुत्र ने शांति से कहा मैं रथ घोड़े और पचास धनुर्घारियों सहित त्रिगतं देदा गया था । वहाँ का राजा सुशर्मा पहले से ही मेरा मित्र है। उसने कहा स्वयं- बर करना ही ठीक है। केवल हमारे इन पह्चिम देशों के राजा भर आये तो बिशेष सम्मानजनक नहीं होगा । कुरू पांचाल काशी मगध चेदि और उधर विद्भ और अब यादवों की ढ्वारिका । इसी प्रकार इन्द्र अग्नि यम बायव्य दिशा के लोगों को भी आना चाहिए । कुरू पांचाल के ब्राह्मण और ऋत्विक भी एकत्रित होने चाहिएँ । तब जाकर स्वयंवर का बड़प्पन बढ़ेगा । तुम प्रबन्ध करो । जान से अतिथि सत्कार के लिए मैं सब सामान सरंजाम भेजूंगा । पर इस समय पूर्व देशों का कोई भी राजा स्वयंवर में आने की स्थिति में नहीं । क्यों ? क्या हो गया ? बूढ़े राजा ने पूछा । हस्तिनापुर का पुराना भगड़ा है न धृतराष्ट्र और पांड के बेटों में । पांढु के बेटों ने बारह वर्ष का अज्ञातवास पुरा कर लिया है । दोनों में युद्ध-- तब
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