मिस्र देश की चित्रमाला | Mishra Desh Kii Chitramaalaa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21.81 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ मिस्र देश को चिचमाला ॥ करने में जब भाइं बडिन का बिवाह होता ता लाग इस को बरा न मानते थे । शदमी जितनी पत्नियां चाहे अथवा जितनों पाल सके उतनी रखता था अर उन में चाहें कितनी उस की बहिन भी हें । पत्नियां को कछाड़ बडे आदमी सरे तिन भी रखते थे अधात दासों जा घर में पाली गईं अथवा जा लडाइ मे पकड़ी गईं अधवा सुपयें से माल लिई गइं अथवा जा किसो कड़्ाल की बेटियां थों जिन्हें पिता न पाल सका । इन रखेलियोां के साथ स्वामी जैसा चाहे तैसा उन से करें अधात जब चाहे तब किसी के हाथ बेच सकता था क्योंकि रखेलियां माना उस का माल समभी जाती थों । ज्ञानवान कहते हैं कि द्ारंभ में मिस्र के निवासो कक जंगलों से थे अ्रार घोरे २ शिष्टाचार उन म फेला आर गांव बनाने ओर खेतों करने लगे । साधारण लोगों के घर जैसा आजकल के तेसा मिट्रो के वा कची इंटों के बनते थे जैसा हिन्द्स्तान के गांवों में भी दस्तर है । घर में सक ही काठरी बहुधा हाती थो अर आने जाने के लिये एक द्वार रहता था । यदि काठरी बड़ी हाती थी ता छत के सम्भालने के लिये बृक्ष को दो रक घड़ खम्मे की नाइं बीच में खडा रखते थे घर में बहत थाडी सामग्री हाती थी कम्हार के वनाये इस दो चार मिट्री के बत्तन घास फस को चटाइयां जिन पर आदमी सा जायें अन्न पोसने के लिये चक्की के दो पाट ओर दा रुक लकड़ी की बनी हुई बस्त इन का छाड़ साधारण लोगों के घर में कक्क नहीं होता था । लाग लंगाटोी लगाये उघारे फिरा करते थे । रइस लाग कांघें। पर डाले हस अथवा कटि में बांधे हुए सक चीता की खाल का पहिना करते थे ओर चोता को दम पीछे को उरडो को ओर लटकतों रहती थी और हम हबशों कैदियों के चिच का देखते हैं जा इस रीति चोता को खाल पहिने हस् है । जैसी स्वियां तैसे प्ररुष भी बाल का अद्त रीति से गंथते ओर सरठते ओर तेल लगाके ऊंचे २ बनाये रखते थे और जैसा डिन्द के यागियां में दस्तर है तैसा वे बाल में कपटी जटा का बटाये रखते थे । आदमों बहा नंगे पांव फिरा करते थे परन्त कभी रंगी हुईं लकड़ी के वा रठी हु घास के खड़ाऊं पहिनते थे। चमड़े के माजे भी कभी काम मे आया करते थे । परुष स्वो दाना गहनोां के बड़े चाहने- हारे थे गले में छातो में हाथ पांव में नाना प्रकार के गहनां से अपने को विभ- पघित किया करते थे । पिछले चित्र मे हम देखते है कि कह्ाल लोग लंगाटी पहने कच्ची इंटों का बना रहे हैं । लडाइ करने मे सांटे बे धनष बाण गाफन आदि बस्तन का काम मे लाते
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