हस्त रेखाएं बोलती हैं | Hast Rekhayan Bolati Hai

Hast Rekhayan Bolati Hai by कीरो - Cheiro

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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15 डावटर बनता था यह चिकित्सक रासायनिक बौर सर्जन सब छुछ होता था । उन्नीस्वीं शताब्दी में विशेषकर ससके अन्त होने के समय हर क्षेत्र में विशिप्टीकरण आरम्भ हो गा । जो चिकित्सक बना वह सर्जन नहीं रहा ओर जो सर्जन चना वह चिकित्सक नहीं रहा 1 दांतों का इलाज करने वाला डावटर तो फहलाने लगा परन्तु शावटरी के वास्तविवां कार्य जैसे चिकिर्सा और संजेरी से उसका कोई सम्दस्ध नहीं रहा । जौ रासायनिक बना उसे भी शिसी ओर विपय से सम्बन्ध रंयने की आवश्यकता नहीं रही । हृड्डियों बाग इलाज साधारण चिकित्सक या सर्जन नहीं करते उनका इलाज हर्ड्डियों का दावटर करता जो अपने आपको आ्थोपिठिएस्ट कहता है । इसी प्रकार आादो कानों आदि के विशेषज्ञ बन गये 1 विशिप्टी करण मान लिया एक बहुत उन्नति की वात है परन्तु इसमें एक बहुत बडा दोप मा कमी भी है इसके द्वारा एक दिशेष दिपय में अधिकाधिक ज्ञान तो प्राप्त हो जाता है परन्तु विशेषज्ञों का दृष्टिकोण संकीर्ण हो नाता है घौर उनका पान भी अपने विएय तक ही सीमित रहता है । ऐसा होता है कि चिड़ित्सक शरीर-रभना विज्ञान 60210छा00 के विपय में अधिक नहीं जानता है भौर सर्जन की चिक्त्सा सम्बन्धी विज्ञता कम हो जाती है । स्नायु १८१४८ विशेष साघारण रोगों का इलाज करने में असम होता है । नौबत तो यहां तफ आ गयी है कि चिकित्सक भर स्जेत शरीर के केवल एक भाग विशेष या रोग विशेष का इलाज करते हैं । कोई व्यकिते सम्मोहन शक्ति द्वारा इलाज में प्रभावित है । सहयोग से वह किसी साधारण चिकित्सक के पास पहुंच नाता हैं । जब वहू चिकित्सक से सम्मोहन शक्ति के में वात करता है तो उसको यताया जाता हैं कि ऐसी कोई शक्ति का होना असम्भय है । आप ही विचार कीजिए कि जो किसी से बित्कुल अनभिज्ञ हो उसे उस बिपय को असम्मव पोषित करने का कया अधिकार है? इसी प्रकार कोई भी प्यक्ति चाहे यह कितना ही शिक्षित ज्ञानवान भर अपने विपय में बहुत वड़ा विशेषज्ञ ही बयों न हो उसे देलीपैथी संम्मोहन विद्या हस्तेविशान ज्योति या अंक विद्या आदि को मसश्भव घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है जव उसे उनके सम्बन्ध में सामान्य शान भी नहीं प्राप्त है । इस सम्बन्ध में वाल्टेयर का न्यूटन के सम्बन्ध में कहा हुआ एक हमें स्मरण हो गाया है । उसने कहा था--- न्यूटन अपने सारे विज्ञान मे पारंगत है परन्तु वह यह नहीं जानता कि उसके हाथ कैसे हरकत करते हैं । प्रायः लोग हमसे कहते हैं- श्रीमान्‌ जी आपने मेरे हाथ की रेखायें देखकर मेरे गत जीवन के विपय में तो सब कुछ बता दिया है भौर मुझे विश्वास होने लगा है कि मेरे भविष्य के सम्बन्ध में भी ठीक ही वयायेंगे परन्तु डा०४ तो कहता है यह सब टोंग है । आप ही बताइये मैं बर्या कहूँ । जो डाक्टर हस्त-विज्ञान को ढोग कहता है और 1. समझता है यह ऐसा व्यक्ति होगा जिसको अपने जीवन में यह जानने का समय और |. ही न मिला होगा कि हाथ और मस्तिष्क में कितना घनिप्ठ सम्बन्ध है । शायद




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