सर्विसिंग ट्रांजिस्टर रेडियो | Servicing Transistor Radio

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Servicing Transistor Radio by आर. सी. विजय - R. C. Vijay

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आर. सी. विजय - R. C. Vijay

Add Infomation AboutR. C. Vijay

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
15 वर लिया जाता है। एव ब्रुश से पोजिटिव और दूसरे श्रूश से नेगेटिव सिदुत प्राप्त होती है । ७ ए सी वि था बल--वइसका पूरा नाम आल्टर्नेटिंग करेन्ट विद्युत्त चाह बल है। यह भी डी सी वि वा बल की भाँति उत्पन होता है। कवल मतर यह है कि कम्युटटर के स्थान पर ताँवे की बनी स्लिपरियि 5108 लगी रहती है । दोनो स्लिपरिंगो से फेज व सूट्रल प्राप्त द्वोतों ह। इसकी दिशा व मान एप८८ 1०0ए 206 एक्ापट परिवतित होती रहती है । का गा | . ना 4 . चित्र 14 इस प्रकार की विद्य /त रेडियो में प्रयुक्त होती है पर तु उसमें रेवटीफाबर बे द्वारा पुन डी सी बना ली जाती है । विद्युत के उपयोग 05८ ० हाल्लेपालाफ यह निम्प बार्यों मे अधिक उपयोग होती है-- | 3 डे थे ड 1५ तर प्रकाश 1 881 ताप सद्ण पालक शक्ति हतर्टएडघाएवी ए0फटा टेलीग्राफ 68219 टेलीफोन एथंव0ड टेलीविजन 1616 1507 रेडियो 1०००




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now