लघु सिद्धान्त कौमुदी में आये हुए वार्तिकों का समीक्षात्मक अध्ययन | Laghu Sidhant Kaumudi me Aaye Huye Vartikon ka Samikshatmak Adhyayn
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.14 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)15200 वि०्पूछ॥ व्याकरण-शात्त्र ने परिपक्वता प्राप्त कर लिया था । ब्मल्मीकफि रामायण के अनुशीलन से यह बात प्रमाणित हो जाती है । रामराज्य में व्याकरण- का पास्त्र/अध्ययन अध्यापन हो रहा था | पात्कीय निरक्त में महाभा रहतयुद्ध के समकालीन अनेक वैययाकरण दविशारदों का परिचय है 1९ महाभाष्यकार महर्घि पत जलि ने व्याकरण-शात्त्र के पठन-पाठन को चिरातीत से जोड़ा है | उपर्युक्त तथ्यों शवमु उपलब्ध ग्रन्थील्लेख से हम इस निष्कर्ष में पहुँच सकते हैं कि व्याकरण शात्त्र की आदि सृष्टि सुदीर्घ प्राचीनकाल में हो चुकी थी । तिथि एवम कालनिर्टदेश टुधकर है किन्तु हम इतना स्पष्८ रूप से सकेतित कर सकते हैं । रामायणकाल में व्याकरण शाश्त्र का पठन-पाठन प्रॉदट्तम रूप से हो रहा था 1 व्याकरण शब्द की प्राचीनता के विघय में इतना उल्लेख ही पर्याप्त होगा बाब्द का प्रयोग रामायण गोपथब्राहुमण मुण्डकोपनिघद और महाभारत प्रभनुत्ति सुप्रसिद्ध ग्रन्थीं में उपलब्ध होता हैं व्याकरण शब्द की प्राचीनता का प्रमाण . वेदाइगों के अनुशीलन से भी प्राप्त हीता है । वेदाइगों के ४ भेद बताये गश्हैं.... । भ्रिह्ा 2. व्याकरण उ. ५ छम्द 5. कल्प. ८. ज्योति . गोयल संभव मर लिविंग ललित कवि समिति फिलिकिं पीसी अमित अवनिवक विवि वोडका कल अनिमियों मं मर किन किक. व जनक. लत कक मोर समय था नूने व्याकरण क्रित्नमनेन बहुधाश्ुतम । बहु व्याहतनिन न कि चदपि भाधितस ॥ किष्क्धिकाण्ड 5/29 ॥. . न प्व्शीत्ति गारस्यवैययाकरणानां चैके - 1 /12. के . पुरा कल्पश्तदासीत संह्का रो त्तरकाल ब्राहमगा व्याकरण तसमाधीयते । - महाभाध्य अ0 । पाए । अ0 1. ०... चैनेचे
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