सात सवाल | Saat Sawal

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Saat Sawal by अमृता प्रीतम - Amrita Pritam

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अमृता प्रीतम - Amrita Pritam

Add Infomation AboutAmrita Pritam

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
16 / सात सवाल प्प्प ््थ काउन्सिल में जिन लोगों ने मेरे खिलाफ शिकायतें दर्जे करवाई हैं, उनमें गोपाल सिंह दर्दी भी हैं, तमिलनाडु का गवर्नर खुराना भी है, सुहम्मद यूनस भी और पैर भी कितने ही हैं पालियासेंट में जब बिल पेश हुआ कि पार्लियामेंट के सेम्बरों की तनखाहें वढाई जाएं, तो मैंने लेख लिखा था कि किसी भी साधारण आदमी से इन मेम्बरों के बारे में राय ली जाय तो वह कहेगा कि यह सब चोर हैं । वही चोर अगर खुद अपनी तनखाहें बढ़ा लें, तो यह कहां का न्याय है । इस लेख के खिलाफ एक सौ मेस्बरों ने “प्रिविलिज मोशन” करके दस्तखत किये थे । उसे हिदायतुल्ला ने डिसमिस किया था ' * * नहीं तो इन मुश्किलों और सुसीबतों की आदत ही पड़ गई है अब तो । या तो दिल की कहूँ, या कुछ न कहूं । सो, मैंने दिल की कहने का रास्ता चुना है” : आपकी दोस्त-नवाज तबीयत को कभी वस्फ के लिए कोई नासुनासिब कीमत पी देनी पड़ी : बहुत लोग दोस्ती का. फायदा उठाते हैं, यह कीमत सो देनी ही पड़ती है । वैसे असल बात यह है कि मेरा कोई दोस्त नहीं है । मेरे वक्त को घुन की तरह लगे हुए लोग हूँ : आपकी नजर में दुनिया के वह कौन से अदीब या पत्रकार हैं, जिससे आपको कभी ररक आया हो ? : हिन्दुतान में तो कोई नहीं । वैसे इज्जत कईयों के लिए है---श्री मसुलगांवकर के लिए, क्योंकि वह अंग्रेजी अच्छी लिखता है। अरुण शोरी और कुलदीप नय्यर के लिए एहतराम है, क्योंकि वह दिलेरी से लिखते हैं। पर अमरीका और बर्तानिया के पत्रकार कई हैं, जिनके लिए हसद जसा अहसास आ जाता है *' कम्बख्त लेखक, “'स्वयं” के इतिहास का पात्र भी होता है, और उसका इतिहास थी । खुदवंत सिह की. जिस कलम ने सिक्ख---इतिहास लिखा, वह कलम कभी खुशवंत सिंह की इतिहासकार बनेगी ? : हां, अमृता, वह इतिहास भी लिखुंगा । बसे तो कहानी नाविल में भी कितना ही “स्वयं” आ जाता है, पर जिंदगीनामा भी लिखूंगा, बल्कि कह सकता हूं कि कितना कुछ जेहन में से उतर कर कागजों के हवाले हो चुका है'*'मैं खुशवंत सिंह का इतिहासकार भी बनूंगा उस इतिहास में कई वह सियासी वाकयात भी होंगे, . जिनका चदमदीद गवाह सिर्फ मैं था, या वक्‍त था । जिंदगीनामा के कुछ हिस्से ऐसे हैं जिन्हें लिखते हुए मैं बहुत व्याकुल समय में से गुजरा हू तवारीखी हिस्से हैं। नेहरू, इंदिरा गांधी, संजय, मेनका, भुट्टो, मुजीवुरंहमान, जियाउ रहमान, जनरल टिवका खां, जियाउल हक और दूसरी कई बुलंद हस्तियों से मिलने के मुझे खास तौर पर मौके मिले हैं, और मैंने उनके मिट्टी के पर देखे हैं ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now