1960 से 1980 तक के उपन्यास लेखन में स्त्री विमर्श का मूल्यांकन | 1960 Se 1980 Tak Ke Upnyas Lekhan Me Stri Vimarsh Ka Moolyankan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ि का जी #ककः कि 0 कं, के अयुनुर गि झा लग प्र थ श रस उननाडानान ग्वश्चायरान्नय नि हमको पिधाम्याटरय्र डा0 मारा दाक्षित, हिन्दी विभाग, इलाइवाद विश्वविद्यालय; इलाहाबाद एवं डॉ मम तक, नि 'य्रयामलन्यकन न या सत्र, सस्कत ववभाग जवाहर लाल नहरू बिश्वावद्यातलत् हरराम उपर हादिक कृतन्ञता जापित करता हूं जिन्होंन शोध कायं में परोक्ष व महयार कया । आदरणीय डा0 यू0 के0 द्विवेदी, अध्यक्ष अंग्रेजी विभाग, इंश्वर शरण डिग्री कालेज, का सम्टमनममरटदर कनपव हर कुक स्लय रस. भिः समय समय पर दिशा दृष्टि मिलती रहो । अत्यन्त व्यस्त स् इलाहाबाद ट्वास मुझ | समय सर ् नाभाग्वित किया है और समर अपनी गवंषणात्मक दृष्टि तथा विद्वता के द्वारा उन्होंने मुझे प्रत्येक कठिनाई को दूर किया है । उन्हीं की प्रेरणा में पुष्ठ होकर मैं इस कार्य को पूर्ण करने में समथ हो सकी हूँ । उनके अप्रतिम एवं आत्मीय सहयोग, परामशं सहदयता उदागता एड उत्साह 4न भ्् हा थक 'उनक च की अपनी ही न अप 'सस्र न्न्य्ट कि ्याएए। लय उत्साह बंधन क लिए मं उनके प्रात 3 हादक कतज्ता ज्ञापत करना द , छाडरणा पं हे पफाटाएट परम गरद्ध श्रीमती द्विवेदी के प्रति भी में हृदय से अनुगृहीत हूँ जिनकी ख्रेहिल प्रेरणा, पर उत्साहवधन ने मुझे संवल प्रदान किया । सम्माननीय डा0 के0 के0 आरिनहोंत्री अध्यक्ष : राजनीति विभाग इंश्वर शरण डिगमो कालेज, इलाहाबाद एवं सम्माननीया डा0 दमयन्ती अग्निहोत्री, शिक्षा शास्त्र विभाग, जे हि. ला कि हृदय से ऊनुगहीन हूँ जिनकी सत्प्रेरणा टी0 गर्ल्स डिय्री कालेज, इलाहाबाद के प्रति में हृदर सहयोग एवं परामश ने मुझे स्देव दिशा दृष्टि प्रदान को । 'डा0 ( श्रीमती ) रमा मिश्रा, प्रवक्ता, राजनाति विज्ञान राएक0 डिगय्रा कालज, शंकरगढ़ एवं डा0 श्रीमती सरिता सिंह, प्रवक्ता, इतिहास, रा0 कए0 डिगय्रों कालेज, शंकरगढ़ इलाहाबाद एवं सहयोग मुझे चरावर मिलत' का भी मैं हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ जिनका परामर्श ए बह जब न जम | जानायथााए चपटयाा गा वि '्कन्मु जा दे 18, चाह परम पृज्य माता पिता एवं सास-श्वसुर की में आजोवन ऋ




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