जिनगुण मंजरी | Jingun Manjari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
331
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्१
वरसी दाने दे लड्े दीक्षा, संगमें एक हजारीरे भविजन-
सुखकारी । २ ।
तमसे केवलज्ञानको साधी, कर्म सुभट कोटारीरे भविजन
सुखकारी । रे ।
करी उपदेश भविक जनतारे, भवसागरसे पारीर भविजन
सुखकारी । ४ ।
एकलाख साधु लड़ संगमें शीघ्र वया शिवनारीर भविजन
सुखकारी । ५ ।
आतम लक्ष्मी बष बधाई पाई श्री जिनरा्ररे भविजन
सुखकारी । ६ ।
बल्लभ सेवा श्री जिनवरकी ललित तिलक हितकारीर
भविजन सुखकारी । ७ ।
चंद्रप्रभ जिन स्तवन ।
चाल होरी ।
श्रीचंद्र प्रभ जिनराज प्र तुम दरिशन अति सुखकारी ॥टक।।
अष्टादश दुषणके त्यागी, द्वादश गुणक धारी श्री ॥॥।
चंद्र समान सोम्यता तोरी, मोहे भवि नरनारी-श्री ।२॥।
चंद्रावतीमें जन्म लीयो है, चंद्र लंडन बलिहारी श्री ॥रे॥।
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