मैंने कहा | Maine Kha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मूठ बरावर तप नहीं / ट त्आगे-ञागे हो लिया । गेट पर आकर टिकट कलक्टर को सुनाते हुए घ्नीमतीजी से वा-झदब कहा, “आाइए, इधर से आइए ! क्यों, भाइंसाहव साथ से नहीं आये ? मुझे तार तो तुस्हारा मिल गया था, रास्ते मे कोई तकलीफ तो नहीं हुई ?”” भीसतीजी यह रंग-ढंग देखकर पहले जरा झचकचाइ तो, लेकिन आखिरकार तो सुक प्रमाणित झूठे की बीवी थीं । फौरन सँभलकर मुभसे सी सचा सेर होकर बोली, “उनके कोट से ज़रूरी मुकदमा था, कहने लगे--तार तो दे ही दिया है स्टेशन पर जीजाजी आ ही जायेंगे, 'चली जाओ | पर गाड़ी मे आजकल वड़ी सीढ़ रहती है। सेकिण्ड क्लास में भी आदमी का सुरता बन जाता हे !” टिकिट कलक्टर वेचारा रौव में आ गया | उसने समभका किसी जज की वहन हैं और सुक्त कांग्रेसी एस० एल० ए० को ब्याही है । टिकट मांगना तो दूर, अद्व से एक तरफ हटकर खड़ा होगया ! ज्ञान बची और लाखों पाये । सेरा खयाल है कि अगर में सचाइई से काम लेंता तो मारा जाता | लकिन यह झूठ बोलने का प्रताप था कि शान बच गई । इसीलिए तो' कहता टू कि भू.ठ बरावरतप नहीं ! बिन जग सवा ७८




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