मैंने कहा | Maine Kha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मूठ बरावर तप नहीं / ट
त्आगे-ञागे हो लिया । गेट पर आकर टिकट कलक्टर को सुनाते हुए
घ्नीमतीजी से वा-झदब कहा, “आाइए, इधर से आइए ! क्यों, भाइंसाहव
साथ से नहीं आये ? मुझे तार तो तुस्हारा मिल गया था, रास्ते मे कोई
तकलीफ तो नहीं हुई ?””
भीसतीजी यह रंग-ढंग देखकर पहले जरा झचकचाइ तो, लेकिन
आखिरकार तो सुक प्रमाणित झूठे की बीवी थीं । फौरन सँभलकर मुभसे
सी सचा सेर होकर बोली, “उनके कोट से ज़रूरी मुकदमा था, कहने
लगे--तार तो दे ही दिया है स्टेशन पर जीजाजी आ ही जायेंगे, 'चली
जाओ | पर गाड़ी मे आजकल वड़ी सीढ़ रहती है। सेकिण्ड क्लास में
भी आदमी का सुरता बन जाता हे !”
टिकिट कलक्टर वेचारा रौव में आ गया | उसने समभका किसी जज
की वहन हैं और सुक्त कांग्रेसी एस० एल० ए० को ब्याही है । टिकट
मांगना तो दूर, अद्व से एक तरफ हटकर खड़ा होगया ! ज्ञान बची
और लाखों पाये ।
सेरा खयाल है कि अगर में सचाइई से काम लेंता तो मारा जाता |
लकिन यह झूठ बोलने का प्रताप था कि शान बच गई । इसीलिए तो'
कहता टू कि भू.ठ बरावरतप नहीं !
बिन जग सवा ७८
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