धर्मशास्त्र का इतिहास | Dharmshastra Ka Itihas Bhag-1

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Dharmshastra Ka Itihas Bhag-1 by डॉ पांडुरंग वामन काणे - Dr. Pandurang Vaman Kane

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६१०--१६४० ई० उ० १६१०--१६४५ ई० उ० १६५०--१६८० ई० उ० १७००--१७४० ई० उ० श७००--रै७५० ई० उ० ७९० ई० उ० १७३०--१८२० ई० उ० न ७ न मित्र मिथ का वीरमित्रीदय जिसके भाग हैं तीपं प्रकाश प्रापश्धितप्रकाश श्राद्धकाश आदि । 2. प्रायरिचित शुद्धि श्राद्ध जादि दिपयो पर १२ मयूला में यपा--नीठि- . पर्मसिर्घु के लेसक काशीनाप उपाध्याय। मयूख ब्यवहारमयूख भादि रचित मगवन्तमास्कर के लेतर नीलकष्ठ । राजपर्मंकौस्तुम के प्रणता अनन्तदेव। 4. बैद्यनाप का स्मृतिमुक्ताफल। तीर्पेन्दुयेखर प्रायरिचिततेन्दुद्ेवर श्रादन्दुशेसर आदि लगमग ५० प्रन्यों के लेखक नायेश मट्ट था नागोजिमट्र । मिताकषण पर बालम्मट्री नामक टीका के लेखक बालम्मट्र।




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