बूढ़ा बर | Budha Bar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
77
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बाबू ब्रजनन्दन सहाय - Babu Brajanandan Sahay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है. हर
पृ गया या ने गया तेरे बाप का कया ?
प्राजी, बदमाश ! दर हो यहां से ।
( नेपथ्य में ) नर प्रेत ! इस सन्ध्या में दो
भूखे बाहाण को फिशित अन्नदान नहीं कर
सका ? चलो भाई: किसी दूसरे दरवाज़े पर
यलो $
व०--राममणि बहुत सन्तुष्ट हुई है, कनक बाबू
को जो हमने फमीन दी उस से सभी सम्तुष्ठ
हुए हैं । अब जो कनक बाबू हम को सम्तुष्ट कर
सकें तब तो ठीक, नहीं तो उन के घर दुच्जार में
अाश लगा देंगे । कनक ऐसा झादगी नहीं है;
शक कनिया अवश्य ठहरा ही देगा, उस को:
कितनी क्षमता हे-कितना मान है । उसी के प्रभाव
से तो ञाज बाघ घर बकरी एकही घाट में पानी
यीती है ( दरवाजे में घका ) ठक ! ठक ! रात-
दिन ठकठक !!! ( पुनः झावाज़ ) फिर थी ठक-
ठक !! हाय ! ठकठक करता ही जाता है ( पुनः
खावाज़ ) कौन हैं रे ? बोलता क्यों नहीं ?
केवल ठकठक क्यों कर रहा है ? ( पुनः अआधात )
किवाड़ तोड़ देगा कया ? बोलता क्यों नहीं ?
राममणि को पुकारें क्या? सासे सब जहन्नुम गये,
रामता बदजात तो मेरा परम शरद है; पाजी कों
केसे जवाब दे कुछ उपाय नहीं सूफता ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...