मोक्षमार्ग - प्रकाशक | Mokshmarg Prakashak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
510
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पु
धर्मके छोमी अन्य भाग उमसमसी देखि रागअंशके उदयतें
करुणाबुद्धि होय तो तिनिकों धर्मोपदेश देते हैं । जे दीक्षापराहक
हैं तिनकौं दीक्षा देते हैं जे अपने दोष प्रगट करे हैं तिनकौं
प्रायश्चित्त विषिकरि शुद्ध करे हैं । ऐसें आचार अचरावनवाले
आचाये तिनकौं हमारा नमस्कार होहु । बहुरि जे बहुत जैन-
शाखनिके ज्ञाता होय संघविते पठन पाठनके अधिकारी भये हैं,
बहुरि जे समस्त शाख्निका प्रयोजनथूत अर्थ जानि एकाअ
होय अपने खरूपकों ध्यावे हैं । अर जो कदाचित् कषाय अंझ-
उदयतैं तहां उपयोग नाहीं थे है तो तिन झाखनिकों आप पढ़े हैं
वा अन्य धर्मबुद्धीनिको पढ़ावे हैं । ऐसैं समीपवर्ती भव्यनिको
अध्ययन करावनहारे उपाध्याय तिनिकीं हमारा नमस्कार होहु ।
बहुरि इन दोय पदवीधारक विना अन्य समस्त जे मुनिपदके
धारक हैं बहुरि जे आत्मखभावकों साषे हैं । जेंसें अपना उपयोग
परदव्यनिविषे इष्ट अनिष्टपनों मानि फसे नाहीं वा भागे नाहीं
तैसें उपयोगको सधावे हैं । बहुरि बाद्यताके साधनभूत तपश्चरण
आदि क्रियानिविषे प्रवर्ते हैं वा कदाचित् भक्तिवंदनादि कायेनि-
विषे प्रवर्ते हैं । ऐसे आत्मखभावके साधक साधु हैं तिनकौं
हमारा नमस्कार दोहु । ऐसैं इन अरहंतादिकनिका खरूप है सो
वीतराग विज्ञानमय है। तिसहदीकरि अरहंतादिक सुति योग्य महान
भये हैं तातें जीव तत्त्वकरि तो सर्व जीव समान हैं: परंतु रागादिक
विकारनिकरि वा ज्ञानकी हीनताकरि जीव निंदा योग्य हो हैं।
बहुरि रागादिककी हीनताकरि वा. ज्ञानकी विशेषताकरि ख़ुति
योग्य हो हैं । सो अरहंत सिद्धनिके तो संपूर्ण रागादिककी
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