उदयशंकर भट्ट : काव्य और नाटक | UdayShankar Bhatt : Kavya Or Natak

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UdayShankar Bhatt : Kavya Or Natak  by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथम अध्याय विषय प्रवेश कोई भी झ्रालोचक श्रथवा समीक्षक किसी सनीषी साहित्यकार श्रथवा कला- कार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर तभी विचार करने को बाध्य होता है जब वह उस कलाकार के उद्दाम व्यक्तित्व, सौलिक चिस्तन तथा अ्रपनी मेधा से समाज का नेतृत्व उसमें पाता है । ऐसे ही मनीषी साहित्यकार किसी देवा की चिर-संचित निधि होते हैं प्रौर श्रपनी साहित्यिक देन के लिए उस राष्ट्र तथा समाज से पूजित होते हैं । ऐसा साहित्यकार युगान्तरकारी होता है । श्रत्येक देश मे ऐसे साहित्यकार सदैव से जन्म लेते श्राथे है, परन्तु वे किसी देश विशेष की सम्पत्ति न होकर श्रखिल विद्व की सम्पत्ति होते हैं। वे श्रपनी बहुमुखी प्रतिभा से न केवल उस देदा की मनीषा का ही नेतृत्व करते हैं श्रपितु श्रपने सावंभौम विचारों से मानवता को दाइवत सत्य एवं दिवत्व की श्रोर ले जाते हैं । साहित्य ही उनका सर्वोच्च माध्यम होता है जिससे उनका 'दिवाराधन सतत चला करता है । प्रत्येक युय में ऐसे मनीषी होते श्राये हैं जिनसे पीड़ित, दलित तथा तमसावबृत मानवता सदैव ब्राण पाती आझाई है। इन मनीषियों के हाथ की लेखनी ही राजदण्ड का रूप ले लेती है जो सीधे मर्म पर श्राघात करती है श्रौर व्यक्ति तथा समाज को श्रात्मचिन्तन के लिए बाध्य होना पड़ता है । पंडित उदयशंकर भट्ट आ्राधुनिक युग के उन कृति-कलाकारों में हैं जिन्होंने श्रपनी बहुमुखी प्रतिभा से हिन्दी साहित्य के भण्डार को नेक बहुमूल्य रत्नों से प्रापुरित किया है । भट्ट जी की कारयित्नी प्रतिभा ने साहित्य के प्रत्येक श्रंग को स्पर्श करके श्रालोकित किया है । भट्ट जी से हिन्दी साहित्य को भ्रभी बहुत श्राशाएं थी ्रौर जीवन के पश्चिम भाग में उनकी साहित्य-घारा श्रज्स्र रूप में प्रवाहमान भी थी । परन्तु हिन्दी साहित्य का दुर्भाग्य है कि उनकी प्रतिभा के चरमोत्कर्ष के क्षण में विकराल काल ने हिन्दी जगत्‌ को उनकी सेवाश्रों से वंचित कर दिया । भट्ट जी के भ्रनेक सहयोगी, संगी, साथी तथा सम्बन्धी श्रभी विद्यमान है । उनके साहित्य के




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