गढ़वाली लोककला और लोकसाहित्य का तुलनात्मक अनुशीलन | Garhwali Lokkala Aur Loksahitya Ka Tulnatmak Anusilan

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Book Image : गढ़वाली लोककला और लोकसाहित्य का तुलनात्मक अनुशीलन  - Garhwali Lokkala Aur Loksahitya Ka Tulnatmak Anusilan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऐतिहासिक पद्िश्य से स्पष्ट है दि अशोक के राज्य काल मैं इस क्षेत्र मे बौद्ध धर्म का प्रभाव था। बौद्धों के प्रभाव को मिटाने और सनातन धर्म की पुनप्रतिष्ठा के लिए स्वामी शकराचार्य को ब्दरिकाश्रम की यात्रा करनी पड़ी थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने हिमालय की किरात जाति को अपनी सेना मैं सम्मिलित कर लिया था।' इस तथ्य की पुष्टि जैन ग्रन्थों से भी होती है।“ चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्य सीमान्त तक फैला था। गंगा और यमुना की उपत्यका उसके अधिकार में थी। मेगस्थनीज ने भी पर्वतों और उनके निवासियों का वर्णन किया है। दुंद्भिसर बौद्ध भिक्षु को हिमालय में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भेजा गया था।” कालसी का शिलालेख इसका सुप्रमाण है। गढ़वाल में कुणिदों के सिक्के तीसरी व चौथी सदी के मिले हैं। गृप्तों के बाद गढ़वाल में नागवंशीय राजाओं का अधिकार हो गया था जिसे सर्ववर्मन ने हस्तगत कर लिया था। हर्ष: के काल में गढ़वाल उसके शासन में था। इवेनसांग ब्रहमपुर पहुंचा था, इसे कर्निंघम गढ़वाल एवं कुमाऊं क्षेत्र मानते हैं। हर्ष वर्द्न की मृत्यु के पश्चात उसके सज़ाज्य के उत्तरी भाग में गढ़वाल भी सम्मिलित था। इसी समय उत्तर भारत मैं गुर्जर प्रतिहारों पंवारों और चौहान राजपूतों का उदय हुआ। गढ़वाल में कत्यूरी अपना प्रभाव खो चुके थे। कुछ समय तक की अराजकता के पश्चात गढ़वाल में पंवार वंश का आधिपत्य स्थापित हो गया। पंवार वंश का संस्थापक कनकपाल था। वह धारा नगरी अथवा मालवा की यात्रा के लिए आया था और चांदपुर गढ़ के राजा की पुत्री के साथ विवाह करके, राजा बन बैठा था। गढ़वाल में पंवार वंशीय राजा महा प्रतापी और शूरीर थे। इनके राज्य काल में केदारखण्ड की प्राचीन सीमा सुरक्षित तो रही ही, इन्होंने इसका विस्तार भी किया। ऐसे ऐतिहासिक तथ्य उपलब्ध हैं जिनके आधार पर मुसलमान बादशाहों का गढ़वाल से सम्बन्ध सिद्ध होता है। इल्तुतमिस और बलबन ने गढ़वाल पर आक्रमण किये। मुगलों के शासन के बाद स्थिति में अंतर आया इनके सम्बन्ध कट नहीं थे बल्कि आपस में सदभाव भी था। गढ़वाल के इतिहास में दूसरी बडी घटना, दो बार का गोरखा आक्रमण था। सन्‌ 1804 मैं गढ़वाल पूरी तरह गोरखाओं के अधीन हो गया। कालान्तर मैं ' ह आज जज जज जज आज आज । - चाणक्य, मुद्राराक्षस 2. परिशिष्ट पर्वत 3. साँची अभिलेख




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