धर्म का आदि श्रोत | Dharm Ka Aadi Shrot

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उपोद्घात ६ पारसी, लोग स्वयं व्पने अन्थों की बहुत बड़ी प्राचीनता मानते हैं 'और यह चात तो ईसाइपों को भी माननी पड़ेगी कि वे पंजनामे की व्पेक्षा '्मधिक पुराने हैं । _ कोई दो ऐसा दोगा जो इत्त वात को न माने कि वेद ज़िन्दावस्ता श्मार संसार की श्रन्य समस्त पुस्तकों से श्धिक पुराने हैं। हसारे ऋषियों का विश्वास है कि बेदों का त्रकाश सृष्टि के आदि में हुआ । इत सम्मति पर कुछ ही क्यों न कहा जाय परन्तु इतना सुनिश्चित है कि मानवजाति के पुस्तकालय में वेदों से प्राचीनतर कोई पुस्तक नहीं । प्रोफ़ेसर मोक्तमूलर स्वीकार करते हैं कि “ऐसा कोई पुस्तक उपस्थित नहीं जों हमें मानबीय इतिहास में वेदों से प्राचीनतर समय की आर पहुंचाचे” । छ जिन्दावस्ता के विद्वान्‌ झनुवादक पादरी एल० एपच० मिल्‍स भी ज़िन्दावस्ता की पपेक्ता वेदों का काल पुराना निर्धारित करते हुए खिखते हैं--' मिथू '्ौर इसके उन सहयोगियों की 'अनुपस्थिति जिनका चर्णन पिछली “'अवस्ता? में है हमें इस वात को स्वीकार करने की चाज्ञा देते हैं कि गाथाओं का काल ( जो ज़िन्दावस्ता का श्रा्ी- नतम भाग है ) श्चाओं से बहुत पीछे का हैँ 11 वे फिर कहते हैं “सम को इस परिवत्त॑न के लिये समय की छावश्यकता है ओर यद्द भी थोड़े समय की नददीं अतएव दम गाधारसों का समय प्राचीनतम कऋत्वाओं से बहुत पीछे का रख सकते हैं ।” पं इस पुस्तक में हम यद्द दिखायेंगे कि मुसलसानी, ईसाई, चौद्ध, यहूदी और ज्रदुण्ती इन पांचों धर्मी की नींव देदों पर हे | * (फ्कफूड विराप द. एटासाणा, पैणफेडाणुु ०१, व, कै १ 'ज़िन्दावस्ता का थब्रेज्ञी श्रचुवाद” भाग ३, भसिका इप द६ (5 उछि. उन 58 हे यूँ चद्दी पुस्तक पष्ट दे ७--न 9:




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