नया जीवन भाग - १ | Naya Jivan Bhag - 1

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Naya Jivan Bhag - 1 by अनिरुद्ध राय - Aniruddh Ray

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ते नया जीवन हार गया। कालिया बहादुर है। जीत गया... जीत गया. |” यह देखते ही इसब को गुस्सा आ गया। वह कालिया को ललकार कर बोला, “आ जा, मेरे सामने आ जा)” कालिया झिझक गया। पर दूसरे लड़के उसका जोश बढ़ाने लगे। फिर तो दोनो की कुश्ती शुरू। दोनो ऐसे लड़े कि नीचे गिरा हुआ कालिया फूट-फूटकर रोने लगा। दूसरे लड़कों ने देखा कि हेंसी-मजाक की खेल उलटा ही हो गया। उन्होंने अमरत्त का. बदला लेने के लिए गए हुए इसब के हाथ से कालिया को छुडवाया और फिर उसे रोता हुआ छोड़कर सारे लड़के इधर-उधर खिसक गए। उनको डर था कालिया के मॉ-बाप से डॉट पिट जाने का। अमरत इसब को लेकर भाग निकला । आगे चलकर इसब की फटी हुई कमीज की ओर उसका ध्यान गया। जेब के साथ डेढठ बालिश्त लबा टुकड़ा लटक रहा था। उसे देखते ही दोनों वहाँ के वहाँ ठिठक गए। आधी जीभ बाहर को निकल पही। चारो भयभीत आँखे उस टुकड़े पर जा चिप्की, “अब?” उस रोते हुए लड़के की आवाज सुनकर या और किसी कारण से इसब के बाप ने घर से आवाज लगाई, “अरे, ओ इसबा, कहाँ गया रे ?” दोनों लड़कों की धडकने मानो बोल रही थीं कि अब मारे गए। दोनों को निश्चित रूप से मालूम था कि कमीज का फटा टुकड़ा देखकर




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